ऊटी (Ooty)- ऊटकमंड/उदगमंडलम : नीलगिरि का सबसे खूबसूरत हिलस्टेशन
नीलगिरि पहाड़ियों में बसा ऊटी (Ooty)- ऊटकमंड/उदगमंडलम न केवल भारत, बल्कि दुनिया के सबसे खूबसूरत हिल स्टेशनों में शुमार है। नीलगिरि की पहाड़ियां उस इलाके में फैली हैं जहां तीन राज्यों- तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल के सीमाएं आपस में मिलती हैं। इन हरे-भरे बेहद खूबसूरत पहाड़ियों के सबसे ऊंचे हिस्से तमिलनाडु में पड़ते हैं। तमिलनाडु की इन्हीं ऊचाइयों पर बसा है दक्षिण भारत का पहाड़ी स्वर्ग- ऊटी! लगभग सालों भर गर्म रहने वाले दक्षिण भारतीय जलवायु में कोई ऐसा स्थल जहां भले ही बर्फ न हो, लेकिन ठंडक और ऊंचाइयों का अहसास हिमालय की मध्य ऊंचाइयों से कुछ-कुछ मिलता जुलता हो, तो ऐसी जगह को दक्षिण का स्वर्ग न कहें तो और क्या कहें! ऊटी का मौसम सालो भर ठंडा रहता है। गर्मियों में भी इसका तापमान उत्तर भारत के जाड़े से समान रहता है।
आपको हैरानी होगी यह जानकर कि मध्य हिमालयी श्रृंखलाओं में बसा उत्तराखंड का सुंदर पर्यटन स्थल कौसानी की ऊंचाई 6,200 फीट है जबकि ऊटी 7,350 फीट की ऊंचाई पर बसा है। ऊटी की ऊंचाई और चारों तरफ फैली नीलगिरि की हरियाली- यहां सालों भर रहने वाले खूबसूरत ठंड का राज है। हालांकि, यहां साल के हर महीने कुछ न कुछ बारिश होती रहती है, लेकिन मई से नवंबर तक बारिश 100 मिली मीटर से अधिक होती है। गर्मियों में भी ऊटी का तापमान लगभग 25 से 13 डिग्री सेल्सियस रहता है। जाड़े का तापमान 5 डिग्री तक गिर जाता है। सिहरन भरा ठंड, दूर-दूर तक फैली हुई हरियाली से सजे पहाड़, हरे-भरे चाय के बगान और उनके ऊपर तैरते बादल- यकीन मानिए इन नजारों को आप जीवन भर भूल न पाएंगे! तकरीबन हर ढलानों का हरी घास से ढका होना ऊटी की एक अन्य विशिष्टता है।
Ooty in hindi
ऊटी को ऊटकमंड या उदगमंडगलम भी कहते हैं। यदि सड़क मार्ग से मैसूर होकर ऊटी जाएं तो आप रास्ते में दो-दो नेशनल पार्कों से होकर गुजरने का आनंद उठाएंगे। ये हैं- कर्नाटक में बांदीपुर (या बंडीपुर), और ठीक इसकी सीमा खत्म होते ही शुरू होता है तमिलनाडु का मदुमलई नेशनल पार्क । आप भाग्यशाली हुए तो एक नहीं बल्कि कई जगहों पर आपको खूबसूरत हिरणों के झुंड, जंगली हाथी, बनैला सूअर, काले मुंह वाले लंगूर, नेवले के आकार का मालाबार गिलहरी (मालाबार जायंट स्क्विरल) और तरह-तरह के सुंदर पक्षी दिख जाएंगे। स्वयं ऊटी नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व (जीवमंडल संरक्षित क्षेत्र) में बसा है, जो एक अंतर्राष्ट्रीय महत्व का इंटरनेशनल बायोस्फीयर रिजर्व है और यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल वेस्टर्न घाट का अंग है। (भारत में कुल 9 बायोस्फीयर रिजर्व हैं।)
रेल मार्ग के जरिए भारत में कहीं से भी आप पहले तमिलनाडु के मेत्तुपलयम पहुंचिए। कोयमबटूर से 33 किमी दूर मेत्तुपलयम देश के मुख्य रेलवे नेटवर्क से जुड़ा है। मेत्तुपलयम से आगे की यात्रा आप नीलगिरि माउंटेन ट्रेन से कर सकते हैं, जो 1000 फुट से मीटर से 7350 फीट की ऊंचाई तक की एक अविस्मरणीय यात्रा है। सारे रास्ते हरियाली से ढके पहाड़, पानी के झरने और चाय बागान के खूबसूरत नजारे देखते ही बनते हैं। इस यात्रा में आपको ‘गौर’ कहलाने वाले इंडियन बाइसन के दर्शन होने का पूरा संयोग बनता है!
आम बोलचाल में ‘टॉय ट्रेन’ कहलाने वाली यह ट्रेन दरअसल ‘मीटर गेज’ पर दौड़ती है। माउंटेन ट्रेन से ऊटी तक का यह 46 किमी लंबा सफर जाते समय चढ़ाई के कारण 5 घंटा लंबा होता है, जबकि वापसी में ढाल उतरने के कारण यही दूरी केवल साढ़े 3 घंटे में पूरी हो जाती है। माउंटेन रेल के इस अद्भुत मार्ग से सफर करते हुए आप 16 सुरंगों, 250 पुलों और 208 मोड़ों (कर्व) से होकर गुजरेंगे।
ऊटी और उसके आस-पास, चाहे कहीं भी चले जाइए हर जगह खूबसूरती से भरपूर है। फिर भी आसपास के कुछ दर्शनीय स्थलों के नाम लेना जरूरी होगा, जो पर्यटकों में बहुत लोकप्रिय हैं।
उदगमंडलम- दक्षिण भारत का सबसे ऊंचा हिलस्टेशन
गवर्नमेंट रोज गार्डेन
ऊटी बॉटनिकल गार्डेन
टोडा जनजाति के सांस्कृतिक अवशेष (ऊटी बॉटनिकल गार्डन की ऊंचाई पर स्थिति है। गार्डन के अंदर से यहां पहुंचा जा सकता है।)
ऊटी लेक
प्याकरा फॉल
डोड्डाबेट्टा
ऊटी से 21 किमी पर कुनूर है जो अपने चाय बागानों के लिए प्रसिद्ध है। यदि वर्ड वाचिंग के शौकीन हैं या चिड़ियों से प्यार है तो यहां जरूर जाएं। चाय बागानों और उसके आस-पास के जंगलों में आपके मन की मुराद पूरी हो सकती है। यह इलाका ठंडे जलवायु के सुंदर चिड़ियों का बसेरा है। इंडियन ब्लैक बर्ड, नीलगिरि फ्लाई कैचर, ब्लू कैप्ड रॉकथ्रश, ग्रे हेडेड कैनरी फ्लाई कैचर, स्क्वायर टेल्ड बुलबुल, सिनेरियस टिट, बुलबुल, रेड व्हिस्कर्ड बुलबुल, रेड वेंटेड बुलबुल, ओरिएंटल व्हाइट आई, कॉमन हूपो (हुदहुद) कुछ आसानी से दिख जाने वाली सुंदर चिड़ियों के नाम है।
Ooty in Hindi
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