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स्वतंत्रता पर रोचक जानकारी- आजादी के रोचक तथ्य

भारत ने लंबे संघर्ष और बलिदानों के बाद 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश उपनिवेशी दासता से स्वाधीनता हासिल की। भारतीय स्वतंत्रता का आंदोलन ऐतिहासिक रूप से बहुत ही रोचक और दुनिया के अनेक दोशों के लिए प्रेरक रहा है। आइए, इस आलेख ‘स्वतंत्रता पर रोचक जानकारी- भारत की आजादी के रोचक तथ्य’ में, जानते हैं भारतीय स्वतंत्रता के बारे में कुछ रोचक तथ्य।

स्वतंत्रता पर रोचक जानकारी - भारतीय स्वतंत्रता के रोचक तथ्य
भारतीय स्वतंत्रता पर रोचक जानकारी

स्वतंत्रता के बारे में कुछ रोचक तथ्य – Some lesser known facts on Indian independence

1947 में प्रथम स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा 15 अगस्त की बजाए 16 जनवरी को राष्ट्रध्वज फहराया गया था।

भारत के अंतिम वायसराय लुइस माउंटबेटन ने आजादी के दिन के रूप में 15 अगस्त का दिन इसीलिए चुना था क्योंकि दो वर्ष पहले 15 अगस्त के दिन ही जापान ने मित्र देशों की सेना के सामने समर्पण किया था।

अंतिम वायसराय लुइस माउंटबेटन को भारत और पाकिस्तान,  दोनों देशों में स्वतंत्रता दिवस से जुड़े आयोजनों में शामिल होना था। असुविधा से बचने के लिए माउंटबेटन ने 14 अगस्त के दिन को पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस घोषित किया, ताकि वह दोनों देशों के स्वाधीनता समारोह में मौजूद रह सकें।

 इतिहास में 15 अगस्त की तारीख दुनिया के कुछ अन्य देशों की स्वाधीनता से भी जुड़ी हुई है। इसी तारीख को 1945 में दक्षिण कोरिया ने जापान से, 1971 में बहरीन ने इंग्लैंड से और 1960 में कॉन्गो गणराज्य ने फ्रांस से स्वतंत्रता हासिल की थी।

स्वतंत्रता पर रोचक जानकारी : ‘ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’

जवाहरलाल नेहरू ने अपना प्रसिद्ध भाषण ‘ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’ प्रधानमंत्री बनने से पहले ही दे दिया था। उल्लेखनीय है कि नेहरू ने यह भाषण 14 अगस्त की मध्यरात्रि को दिया था जबकि देश के पहले प्रधानमंत्री वह 15 अगस्त की सुबह बने थे।

जवाहर लाल नेहरू ने अपना ऐतिहासिक भाषण ‘ट्रिस्ट विद डेस्टनी’ 14 अगस्त की मध्यरात्रि को वायसराय लॉज (मौजूदा राष्ट्रपति भवन) से दिया था।

महात्मा गांधी ने भारत की स्वाधीनता के संघर्ष के मुख्य अंग के रूप में सविनय अवज्ञा आंदोलन को अपनाया। इस आंदोलन के दौरान नागरिकों द्वारा विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार और नमक पर लगने वाले टैक्स का विरोध किया गया था। कर न चुकाने का उनका यह विचार  डेविड थोरो की किताब से प्रभावित था, जिसके अनुसार किसी को भी टैक्स नहीं भरने चाहिए।

भारतीय स्वतंत्रता पर रोचक जानकारी

भारत की आजादी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

हिंदुस्तार 15 अगस्त को आजाद हो गया था, लेकिन उसका अपना राष्ट्रगान नहीं था। जन-गण-मन 1950 में राष्ट्रगान बना, हालांकि रवींद्रनाथ टैगोर ने इसकी रचना 1911 में ही कर ली थी।

भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व महात्मा गांधी ने किया था, लेकिन आजादी के समारोह में स्वयं गांधीजी ही शामिल नहीं हुए थे। उस दिन वह बंगाल के नोआखली में थे, जहां वे हिन्दू-मुस्लिम के बीच हो रहे सांप्रदायिक दंगों को रोकने के लिए अनशन कर रहे थे।

15 अगस्त 1947 तक भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा रेखा का निर्धारण नहीं हुआ था। इसका फैसला 17 अगस्त को रेडक्लिफ लाइन की घोषणा से हुआ था।

आजादी के समय देश में 560 से ज्यादा रियासतें थीं जिन्हें यह निर्णय करने का अधिकार दिया गया था वे भारत या पाकिस्तान में से किसी के साथ जा सकते हैं, अधिकतर ने भारत के साथ आने का निर्णय किया। रियासतों को भारत के साथ लाने में सरदार पटेल की प्रभावशाली नीतियों ने मुख्य भूमिका निभाई।

15 अगस्त 1947 को, जिस दिन भारतीय नेताओं के हाथों में ब्रिटिश हुकूमत ने शासन की बागडोर सौंपी थी भारतीय 1 रुपया 1 डॉलर के बराबर था और सोने का भाव प्रति 10 ग्राम 88 रुपए 62 पैसे था।

बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय रचित भारत का राष्ट्र-गीत ‘वंदे मातरम’ उनके उपन्यास आनंदमठ की मूल रचना है जो 1880 के दशक में लिखा गया था। इस गीत को पहली बार रबींद्रनाथ टैगोर ने गाया था-1896 में। 24 जनवरी 1950 को इसे भारत के राष्ट्र-गीत के रूप में स्वीकार किया गया।

 स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 1973 तक सभी राज्यों में वहां के राज्यपाल तिरंगा फहराया करते थे। तमिलनाडु के तात्कालीन मुख्यमंत्री एम.करुणानिधि द्वारा तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से अनुरोध के बाद 1974 से मुख्यमंत्रियों द्वारा राज्यों में तिरंगा फहराने की परंपरा आरंभ हुई।

 ब्रिटिश संसद के निर्णय के अनुसार जून 1948 में ही भारत को आजादी मिल जानी चाहिए थी और इसे क्रियान्वित करने का अंतिम अधिकार तात्कालीन ब्रिटिश-भारत के अंतिम वायसरॉय लॉर्ड माउंटबैटन को सौंपा गया था। लेकिन, माउंटबैटन ने सांप्रदायिक दंगों की विभीषिका के मद्देनजर उक्त समय से 10 महीना पहले ही भारतीय स्वाधीनता के लिए 15 अगस्त 1947 का दिन निर्धारित कर दिया।

महात्मा गांधी नहीं चाहते थे कि 15 अगस्त 1947 को आजादी मिल जाने के बाद कांग्रेस पार्टी को बनाए रखा जाए, क्योंकि वह उद्देश्य पूरा हो गया था जिसके लिए पार्टी का अस्तित्व था।

1947 में भारत आजाद होने के बाद भी गोवा पुर्तगाली शासन के अधीन 1961 तक रहा।

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