आम तौर पर, बैक्टीरिया यानी जीवाणु का नाम सुनकर हमारे मन में बीमारियों का ही ख्याल आता है। हर कोई जानता है बैक्टीरिया के कारण अनेक रोग होते हैं। …और, एंटीबायोटिक दवाएं लेकर हम उनसे बचाव करते हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं हमारा शरीर जीवाणुओं का विशाल भंडार है और हर जीवाणु यानी बैक्टीरिया हमारे लिए हानिकारक नहीं होता? सच तो यह है कि बैक्टीरिया के बिना हमारे शरीर का कामकाज ठीक से चल ही नहीं सकता। सामान्य रूप से हम यही जानते हैं कि हमारा शरीर हड्डियों, मांसपेशियों, रक्त आदि से बना हुआ है, लेकिन हमारे शरीर के बनने और उसके काम करने में अनगिनत लाभदायक बैक्टीरिया की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है। आइए, इस आलेख में जानें पेट के लाभदायक बैक्टीरिया और उन्हें सपोर्ट करने वाले प्रोबायोटिक खाद्य पदार्थों के बारे में।
शरीर के अंदर जीवाणुओं (bacteria) की अद्भुत दुनिया : “Human Microbiota”
मनुष्य के शरीर के अंदर जीवाणुओं (bacteria) और अन्य सूक्ष्मजीवियों (microorganisms) की एक अद्भुत दुनिया होती है। हमारे शरीर के अंदर जीवाणुओं और सूक्ष्मजीवियों की इस दुनिया को विज्ञान की भाषा में “Human Microbiota” कहा जाता है। हिंदी में हम इसे ‘मानव-सूक्ष्मजीव तंत्र’ कह सकते हैं। “Human Microbiota” में वायरस, फंगस आदि के अलावा हजारों प्रकार के बैक्टीरिया पाए जाते हैं जिनकी संख्या खरबों में होती है। दूसरे शब्दों में कहें, तो हमारा शरीर खरबों बैक्टीरिया का घर होता है।
हमारे शरीर के अंदर ये बैक्टीरिया शरीर के लगभग हर हिस्से में पाए जाते हैं। यानी, हमारे देह के अंदर खरबों सूक्ष्म जीवन की एक जटिल दुनिया हर वक्त मौजूद रहती है। ये बैक्टीरिया हमारे मुंह, पेट, आंत, मलाशय, रक्त, फेफड़े, सांस नली जैसी जगहों सहित शरीर के लगभग हर हिस्से में रहते हैं। मानव शरीर में निवास करने वाले ये सूक्ष्मजीवी हमें स्वस्थ रखने में पूरी मदद करते हैं। शरीर की क्रियाओं को सुचारू चलाने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। भले ही हानिकारक बैक्टीरिया के कारण हम बीमार पड़ते हों, लेकिन उनकी तुलना में कई गुना अधिक संख्या उन बैक्टीरिया की होती है जो हमारे मित्र हैं।
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आंंत में रहने वाले लाभदायक बैक्टीरिया यानी (useful Gut Bacteria)
हमारे पेट (और आंत) में लगभग 600 से 1000 किस्मों के बैक्टीरिया पाए जाते हैं। इनमें से अनेक मित्र बैक्टीरिया हैं जो न केवल हमारे पाचन तंत्र (digestive system) और मेटाबॉलिज्म संतुलित रखते हैं बल्कि हमारी इम्यून शक्ति, यानी बीमारियों से लड़ने की हमारी आंतरिक क्षमता को भी मजबूत बनाते हैं। मित्र बैक्टीरिया का एक ऐसा ही किस्म है Bifidobacteria, जो हमारे पेट और आंत में रहते हैं और पाचन में मदद करते हैं। मित्र बैक्टीरिया की भरपूर संख्या शरीर में हानिकारक बैक्टीरिया के प्रवेश को रोकने में मदद करती है। हानिकारक बैक्टीरिया से लड़कर वे हमारी रक्षा करते हैं। “Human Microbiota” यानी मानव शरीर के अंदर सूक्ष्मजैविक व्यवस्था पर हुए रिसर्च बताते हैं कि कैसे अलग-अलग शारीरिक रोगों और मनोदशाओं वाले लोगों की आंत में बैक्टीरिया की किस्म और उनकी संख्या अलग-अलग होती है।
लाभदायक बैक्टीरिया को बचाएं : Antibiotics से बचें
दोस्तो, अपने शरीर के अंदर बैक्टीरिया की कुदरती मौजूदगी और हमारे स्वस्थ रहने में उनकी भूमिका को जान लेने के बाद अपने स्वास्थ्य को अब आप एक नए नजरिए से देखेंगे। अब आप जरूर यह समझ गए होंगे कि एंटीबायोटिक के सेवन से हानिकारक बैक्टीरिया के साथ-साथ हमारे मित्र बैक्टीरिया भी नष्ट हो जाते हैं। इसलिए, एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग कम से कम करना चाहिए। आजकल, एंटीबायोटिक लेकर तुरंत बीमारी ठीक करने का रुझान बढ़ रहा है। जुकाम-सर्दी जैसे वायरस जनित रोगों में भी लोग बेझिझक एंटीबायोटिक्स लेने लगे हैं। यह हमारे शरीर को बहुत ही खतरनाक स्थिति की ओर ले जाता है।
शरीर में मित्र बैक्टीरिया की कुदरती व्यवस्था को किसी भी हाल में क्षति न पहुंचे इसका पूरा ध्यान रखना जरूरी है। एंटीबायोटिक्स का प्रयोग केवल तभी करना चाहिए जब दूसरे विकल्प न हों। उदाहरण के लिए, छोटे-मोटे घावों को केवल उन्हें साफ रखकर, कीटाणुनाशी मरहम लगाकर सही तरीके से पट्टी बांधकर ठीक किया जा सकता है। भले ही घाव ठीक होने की रफ्तार थोड़ी कम हो, लेकिन इनके लिए ओरल एंटीबायोटिक्स लेना ठीक नहीं। जरा सोचिए, अपनी त्वचा या मांसपेशी पर पर लगे घाव के लिए जब आप एंटीबायोटिक दवा खाते हैं या इंजेक्शन लेते हैं तो इसका असर संपूर्ण शरीर पर पड़ता है और आपकी आंतों से लेकर खून तक में पाए जाने वाले मित्र बैक्टीरिया बेवजह मारे जाते हैं। इसकी कीमत हमारे इम्यून सिस्टम को चुकानी पड़ती है।
मित्र बैक्टीरिया की मदद : प्रोबायोटिक आहार (Probiotics)
इसी तरह, शरीर के अंदर, खासकर पेट और आंतों में मित्र बैक्टीरिया की संख्या बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए दही, छाछ, नारियल पानी, फल जैसे खाद्यपदार्थों को अपने खाने की सूची में पर्याप्त जगह दीजिए। लाभदायक बैक्टीरिया की संख्या बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों को Probiotics कहा जाता है। दही और छाछ भारतीय रसोई में सदियों से इस्तेमाल किए जाने वाले बेहतरीन प्रोबायोटिक्स खाद्य पदार्थ हैं। खीरा, नींबू, आंवला, गोभी आदि के खमीर उठाकर बने (fermented) भारतीय अचार भी प्रोबायोटिक का काम कर सकते हैं, बशर्तें उनमें तेल और मसालों की मात्रा सीमित हो। चाहें तो बाजार में मिलने वाले Yakult जैसे पैकेज्ड उत्पादों का भी उपयोग किया जा सकता है।
टायफायड, गंभीर घाव, सर्जरी जैसी परिस्थितियों में हाइ-पावर एंटीबायोटिक दवाएं (high-powered antibiotics) लेनी जरूरी होती है। इन हाइ-पावर एंटीबायोटिक्स से रोगकारी बैक्टीरिया के साथ-साथ शरीर में पहले से मौजूद मित्र बैक्टीरिया का भी सफाया हो जाता है। ऐसे में शरीर के अंदर बैक्टीरिया की संख्या बढ़ाने के लिए प्रोबायॉटिक पदार्थों का सेवन खास तौर पर करना चाहिए।
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