पद्मश्री पुरस्कार कुलीनों की बिरादरी से निकलकर अब खेत-खलिहन और किसानों तक पहुंच गया है। इस वर्ष के पद्म-पुरस्कृत किसानों के बहाने भारतीय किसानों की सक्सेस स्टोरी सामने आती है। ऐसे में जहां किसान आत्महत्या और बदहाली के खबरों में घिरे रहते हैं इन सफल और खुशहाल किसानों के बारे में जानना तस्वीर का दूसरा पहलू सामने रखता है और हमारे अंदर हौसला जगाता है।
2019 गणतंत्र दिवस पर सरकार ने जिन 112 लोगों को पद्म पुरस्कार से सम्मानित किए जाने की घोषणा की उनमें देश के 10 किसान भी शामिल हैं, जिनमें दो महिलाएं हैं। इन्हें पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना गया है। पद्म पुरस्कार के लिए कृषि के क्षेत्र से इतनी बड़ी संख्या में किसानों को चुना जाना आज देश में खेती के प्रति लोगों के बदलते नजरिए को दर्शाता है। यह कदम कृषि और किसानों के प्रति सरकार के गंभीर होने का संकेत भी है। हमें बेसब्री से उस दिन का इंतजार है जब पढ़े-लिखे युवा खेती को चुनेंगे और गर्व महसूस करेंगे। किसानों को देश के इतने प्रतिष्ठित सम्मान से नवाजे जाने पर हमें बेहद खुशी है। इन किसानों ने कृषि के क्षेत्र में नायाब प्रयोग किए हैं। व्यवसाय के रूप में खेती को लाभकारी बनाने में अपना कीमती योगदान दिया है जो औरों के लिए प्रेरणा बने हैं। आइए जानें इनके और इनके योगदानों के बारे में–
10 किसानों की सक्सेस स्टोरी
1. राजकुमारी देवी – बिहार के मुजफ्फरपुर, सरैया प्रखंड, गांव- आनंदपुर की रहने वाली हैं राजकुमार देवी जिन्हें लोग ‘किसान चाची’ के नाम से जानते हैं। ‘किसान श्री पुरस्कार’ से सम्मानित राजकुमारी देवी जब अपने घर से निकलीं तो उन्हें हिकारत भरी नजरों से देखा गया। लेकिन आज उनके नाम से उस गांव और इलाके की पहचान है। साइकिल से गांव-गांव जाकर महिलाओं को जागरूक करती हैं, जैविक तरीके से खेती करती हैं और खुद के बनाए आंवले के मुरब्बे और अचार की मार्केटिंग भी करती हैं।
2. कमला पुजारी – ओडिशा में कोरापुट जिले की आदिवासी महिला किसान कमला पुजारी उर्फ़ कमला माँ को राज्य सरकार ने पिछले दिनों योजना बोर्ड का सदस्य नियुक्त किया था। कमला विलुप्त प्रजाति के धान की किस्म की सुरक्षा के लिए वर्षों से काम कर रही हैं।
3. वेंकटेश्वर राव यादलापल्ली – बहुत कम उम्र से ही खेती करने वाले आंध्र प्रदेश के कुन्नूर जिले के वेंकटेश्वर राव यादलापल्ली प्राकृतिक खेती के लिए पहले पत्रिका निकाली, फिर मोबाइल ऐप लॉन्च किया। किसानों को फर्टिलाइजर और कीटनाशियों के सही प्रयोग के प्रति जागरूक करने के लिए 2016 में इन्होंने रैथु नेस्थम फाउंडेशन की स्थापना की।
4. हुकुमचंद पाटीदार – राजस्थान में स्वामी विवेकानंद एग्रिकट्रियल रिसर्च फार्म के संस्थापक हुकुमचंद पाटीदार झालवाड़ में 40 एकड़ में जैविक खेती करते हैं। भारत के अलावा उनके उत्पादों की मांग दुनिया के 7 देशों में भी हैं। अपने शो ‘सत्यमेव जयते’ में आमिर खान हुकुमचंद पाटीदार की चर्चा कर चुके हैं। गेहूं, जौ, चना, मेथी, धनिया की खेती करने वाले हुकुमचंद राजस्थान में मिसाल के तौर पर देखे जाते हैं।
5. भारत भूषण त्यागी – उत्तर प्रदेश मिश्रित और सहफसली खेती करके साल में एक एकड़ से 3 से 4 लाख रुपए कमाते हैं भारत भूषण त्यागी। खुद तो खेती करते ही हैं साथ ही मिश्रित और सहफसली खेती के लिए किसानों को जागरूक भी करते हैं।
6. रामसरन वर्मा – उत्तर प्रदेश बाराबंकी के हरख ब्लॉक, गाँव दौलतपुर के प्रगितिशील किसान रामसरन वर्मा केला, टमाटर, आलू और मेंथा की खेती करते हैं। रामसरन को फसल चक्र के लिए जाना जाता है। इनके पास 10 एकड़ जमीन ही है लेकिन लीज पर लेकर 110 एकड़ में खेती करते हैं। 50 हजार से ज्यादा किसानों को फसल चक्र का प्रशिक्षण दे चुके हैं। विदेश से भी किसान सीखने आते हैं।
7. जगदीश प्रसाद पारीक – राजस्थान के सीकर जिला के अजीतगढ़ के रहने वाले जगदीश जैविक खेती में नायाब प्रयोगों के लिए प्रसिद्ध हैं। इन्होंने 15 किलो का गोभी का फूल उगाकर सबको चौंका दिया था। जैविक तरीके से उगाए गए इस गोभी को आईआईएम ने भी प्रमाणित किया। इनका नाम गिनीज बुक ऑफ़ रिकार्ड्स में भी दर्ज है।
8. वल्लभभाई वासरामभाई – गुजरात में जूनागढ़ के रहने वाले 96 साल के वल्लभभाई वासरामभाई मारवाणिया जब 13 साल की उम्र से ही खेती से जुड़े हैं। वल्लभभाई वासराभाई गाजर की खेती के लिए जाने जाते हैं। वल्लभभाई वासराभाईबस पांचवीं पास हैं। अपने इलाके के लोगों को इन्होंने बताया कि गाजर से कैसे मुनाफा कमाया जा सकता है। इनके इलाके में गाजर पहले बस चारे के लिए उगाया जाता था।
9. कंवल सिंह चौहान – हरियाणा में सोनीपत के गाँव अटरेना के रहने वाले कंवल सिंह चौहान ने एलएलबी करने के बाद वकालत की जगह खेती को चुना। बेबी कॉर्न और मशरूम की खेती के लिए प्रसिद्ध कंवल सिंह के पास विदेशी किसान भी प्रशिक्षण लेने आते हैं।
10. बाबूलाल दाहिया – मध्य प्रदेश में सतना के पिथौराबाद गाँव के किसान बाबूलाल दाहिया खेती में अपने प्रयोग के लिए जाने जाते हैं। 8 एकड़ खेत में जैविक खेती करते हैं। उनके पास देशी धान की 110 किस्मों का खजाना है। कम पानी में भी ये किस्में अच्छी उपज देती हैं।
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Sumit singh
Bhaarat ki kisano ki jaya ho!