प्रचलित धारणा के विपरीत, Steve Jobs ने कभी कोई कंप्यूटर नहीं बनाया। स्टीव जॉब्स Apple कंपनी के को-फाउंडर यानी सह-संस्थापक थे, Apple computer के निर्माता नहीं। किसी अकेले ने नहीं बल्कि स्टीव वोज़नियाक-स्टीव जॉब्स की जोड़ी ने एक कंपनी के रूप में Apple Computers के जन्म और विकास की गाथा रची।
एपल कंप्यूटर के निर्माता वास्तव में स्टीव वोज़नियाक (Steve Wozniak) थे। वोज़नियाक इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर थे और हेवलेट पैकर्ड (HP) में कैलक्युलेटर डिजायन करते थे। बाद में उन्हें मेनफ्रेम कंप्यूटर का काम दिया गया।
हैवलट पेकार्ड में ही हाई स्कूल छात्र के रूप में गर्मियों के दिनों में पार्ट टाइम जॉब किया करते थे स्टीव जॉब्स। यहीं स्टीव्स वोज़नियाक और स्टीव जॉब्स की मुलाकात हुई।
विभिन्न प्रकार के सर्किट और इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स को असेंबल कर स्टीव वोज़नियाक ने हाथ से बनाया था कंप्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम का पहला डिजायन प्रोटोटाइप। यह आकार में छोटा, हल्का और सस्ता एक सर्किट बोर्ड के रूप में ऑपरेटिंग सिस्टम था, जिसके स्क्रीन के लिए टेलीविजन का स्क्रीन इस्तेमाल किया जाना था।
इस डिजायन प्रोटोटाइप को लेकर वोज़निक हेवलेट पैकर्ड (Hewlett-Packard) के पास गए जहां वह काम करते थे। HP ने वह प्रोटोटाइप लेने से इनकार कर दिया। HP के इंजीनियरों के मुताबिक वह एक घटिया प्रॉडक्ट था।
अब यहीं से शुरू हुआ स्टीव जॉब्स का ‘जॉब’। जॉब्स ने कंप्यूटर बेचने का बीड़ा उठाया। वोज़नियाक को इसमें संदेह था, लेकिन उसके अनुसार, ‘मैंने सोचा, चलो कम से कम हमारे बच्चे तो जानेंगे कि हमने कभी अपनी कंपनी शुरू की थी।’
पूरी तरह असेंबल्ड Printed Circuit Board के रूप में बेचा जाना तय हुआ और बेचने लायक प्रॉडक्ट के रूप में इसे तैयार करने के लिए वोज़नियाक और जॉब्स दोनों में से किसी के पास पैसे नहीं थे।
वोज़नियाक ने अपनी HP साइंटिफिक कैलक्युलेटर और जॉब्स ने अपना वॉक्सवैगन वैन बेच कर 1300 डॉलर इकट्ठे किए और बनाई गई पहली पूरी तरह असेंबल्ड और इस्तेमाल के लिए तैयार Apple I जो कंप्यूटर से अलग एक सर्किट बोर्ड जैसा था।
स्टीव जॉब्स ने कंपनी बनाकर काम को व्यवस्थित तरीके से करने का सुझाव रखा और 1 अप्रैल 1976 को एक पार्टनरशिप कंपनी बनी जिसके पार्टनर थे, स्टीव जॉब्स, स्टीव वोज़निक और रोनाल्ड वेन (Ronald Wayne)। प्रॉडक्ट डिजायन और निर्माण का जिम्मा वोज़नियाक का था। बिक्री की जिम्मेदारी स्टीव जॉब्स की थी और रोनाल्ड वेन को एडमिनिस्ट्रेटिव सुपरवाइजर की जवाबदेही सौंपी गई।
पहले सौदे के रूप में 666.66 डॉलर प्रति यूनिट की दर से हाथ से असेंबल किए गए ऐसे 50 सर्किट बोर्ड एक नई कंप्यूटर खुली दुकान को बेचे गए। इस सफलता के एक साल बाद वोज़निक ने Apple II डिजायन किया और फिर इसके बाद की कहानी एक इतिहास है! Apple ब्रांड नाम से iphone सहित बहुत से प्रॉडक्ट सामने आए और दुनिया पर छा गए। Apple दुनिया का सबसे बड़ा आईटी ब्रांड बन गया।
स्टीव जॉब्स के मैनेजमेंट स्किल के सहारे Apple Inc. ने IT ब्रांड की दुनिया में सफलता के सबसे ऊंचे मुकाम हासिल किए। स्टीव जॉब्स का नाम आज किसी परिचय का मुहताज नहीं लेकिन Apple कंप्यूटर के निर्माता स्टीव वोज़नियाक का नाम पृष्ठभूमि में रह गया! आज स्टीव वोज़निक 68 साल के हैं और 2011 में 56 वर्ष की आयु में स्टीव जॉब्स पैनक्रियाज ट्यूमर से लड़ते हुए दुनिया को अलविदा कह गए!
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