धर्म से जुड़े ‘दान’ शब्द के पीछे इस आधुनिक समय में एक पुरानी किस्म की बेवकूफी नजर आ सकती है। लेकिन यही दान ‘चैरिटी’ के रूप में दुनिया भर के समाजों में बदलाव लाने में अपना योगदान देता रहा है। इस तरह, शब्द और भाषा से परे ‘दान’ यानी चैरेटी का महत्व हमेशा बना रहेगा। पढ़िए दान के महत्व पर यह प्रेरक लघुकथा-
बहुत समय पहले एक राजा था। वह अपनी न्यायप्रियता के लिए प्रजा में बहुत लोकप्रिय था। एक बार उसके दिमाग में एक सवाल आया कि मनुष्य के मरने के बाद क्या होगा? इस अज्ञात प्रश्न के उत्तर को पाने के लिए राजा ने अपने दरबार के सभी मंत्रियों और ज्ञानी जनों से परामर्श किया। सब लोग राजा के इस जिज्ञासा से चिंतित हो उठे। किसी के भी इस प्रश्न का संतोषजनक उत्तर नहीं था। काफी देर सोचने-विचारने के बाद राजा के आदेश से सारे राज्य में ढिंढोरा पिटवा दिया गया, कि जो कोई भी आदमी रात भर कब्र में मुरदे की तरह लेटकर मरने के बाद होने वाली घटनाओं का विवरण बताएगा उसे पांच सौ सोने की मोहरें उपहार में दी जाएंगी।
अब समस्या यह थी कौन अच्छा-भला जीवित इंसान ऐसा करने को तैयार होगा? आखिरकार राज्य का एक व्यक्ति ऐसा करने को तैयार हुआ। वह व्यक्ति बेहद कंजूस था और धन बचाने की चिंता में सुख से खाता-पिता और सोता भी नहीं था। अधिकारियों ने उसे राजा के पास पेश किया। राजा के आज्ञा से उसके लिए सुंदर फूलों से अर्थी बनाई गई। उसे उसके ऊपर लिटाकर बाकायदा श्वेत कफन से ढक दिया गया। फिर उसे विधिवत कब्रिस्तान ले जाया गया।
रास्ते में एक फकीर ने उसका पीछा किया। फकीर ने उससे कहा, ‘अब तो तुम मरने जा रहे हो और घर के अकेले हो। इतना धन तुम्हारे घर में बिना उपयोग के पड़ा रहेगा। मुझे ही कुछ दे दो। कंजूस के बार-बार मना करने पर भी फकीर ने उसका पीछा नहीं छोड़ा और धन देने की रट लगाए रहा। कंजूस एकदम परेशान हो गया। फिर उसे क्या सूझा कि उसने कब्रिस्तान में पड़े बादाम के छिलकों के एक ढेर में से मुट्ठी भर छिलके उठाकर फकीर को दे दिए।
अब कंजूस को कब्र में लिटा दिया गया और ऊपर से कब्र बंद कर दी गई। सांस लेने के लिए सिर की तर से बस एक छोटा सा छेद रहने दिया गया। ताकि, वह अगली सुबह राजा को सारा हाल बताने के लिए जिंदा रहे। उसे कब्र में लिटाने के बाद सब लोग वापस लौट गए। रात हुई। एक सांप कब्र के पास आया और छेद से अंदर घुसने की कोशिश करने लगा। यह देखकर कब्र के अंदर कंजूस आदमी बेहद घबड़ाया। इधर सांप जब छेद में घुसने की कोशिश कर रहा था तो बादाम का एक छिलका कहीं से छेद में अटका हुआ था। सांप इस वजह से अंदर घुस नहीं पा रहा था।
सुबह जब हुई तो राजा के सिपाहियों ने आकर कंजूस को कब्र से बाहर निकाला। फिर मरने का हाल सुनाने के लिए उसे राजा के पास चलने को कहा। लेकिन कब्र से निकले उस आदमी पर सिपाहियों की बातों का कुछ असर नहीं हुआ। वह उनकी हर बात अनसुनी करता रहा।
कंजूस आदमी पहले अपने घर गया। उसने अपनी तमाम धन-संपत्ति गरीबों में बांट दिया। कंजूस में अचानक आए इस बदलाव से लोग हैरान रह गए। सबके मन में सवाल उठने लगे। अंत में कंजूस राजा के पास पेश हुआ। कंजूस ने बीती रात सांप और बादाम के छिलकों की पूरी कहानी राजा को कह सुनाई। और यह भी बताया कि कैसे उसने फकीर को खीज कर एक मुट्ठी बादाम के छिलके दान किए थे। अंत में, कंजूस ने राजा से कहा, ‘मरने के बाद सबसे ज्यादा दान ही काम आता है। इसलिए दान करना ही सभी धर्मों में श्रेष्ठ है!
(साभार: द.भा. राष्ट्रमत, 17.03.2019)
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