हम सभी जानते हैं अब तक कोविड की कोई ठोस दवा विकसित नहीं की जा सकी है। ज्यादातर लोग घरेलू उपचार, उचित खान-पान और विश्राम से ठीक हो रहे हैं। कोविड में उचित आहार और खान-पान का इसलिए बहुत महत्व है क्योंकि इम्यूनिटी के निर्माण में …
नारी और पुरुष जीवन रूपी गाड़ी के दो पहिए हैं। नारी के बिना मानव जीवन असंभव है। पुरुष को जन्म देने और उसका पोषण करने से लेकर उसके संपूर्ण जीवन को दिशा देने, संवारने और सफल बनाने में स्त्री की भूमिका अनिवार्य होती है। महिलाओं को …
यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता:। अर्थात, जहां नारी का सम्मान होता है वहीं देवता वास करते हैं। मनुष्य के व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक जीवन के संचालन में पुरुषों के साथ स्त्रियों की समान भूमिका होती है। अगर हम गौर से सोचकर देखें, मानव जीवन को …
क्रोधो मूलमनर्थानां क्रोधः संसारबन्धनम्।धर्मक्षयकरः क्रोधः तस्मात् क्रोधं विवर्जयेत्॥यानी, क्रोध विपत्तियों का कारण है। क्रोध संसार का बंधन है। क्रोध से मनुष्य का धर्म नष्ट होता है। इसलिए क्रोध का परित्याग करना चाहिए।गुस्सा यानी क्रोध मनुष्य के अंदर पैदा होने वाला एक महान शत्रु है। हम सभी …
हम सबके अंदर कुछ न कुछ कमी रहती है। हम सब अधूरे हैं। ध्यानपूर्वक हम अपनी कमियों का अवलोकन करें, उन्हें समझें और उनके अनुरूप खुद में बदलाव करें, तो खामियों को भी खूबियों में बदला जा सकता है। यह प्रेरक लघु कहानी : रिसने वाला …
जर्मनी में पैदा हुई कॉर्नेलिया फंके जानी-मानी अमेरिकी बाल साहित्यकार हैं। उन्होंने बच्चों के लिए- ‘द थीफ लॉर्ड’, ‘ड्रैगन राइडर’ और ‘इंंकहार्ट’ (Inkheart) जैसी लोकप्रिय फिक्शन रचे हैं जो दुनिया भर में पाठकों के बीच खूब लोकप्रिय हुए। पेश है लेखिका कॉर्नेलिया फंके के कहे हुए …
शिक्षा का अर्थ यदि हम उसके प्रचलित मायने यानी रोजगार की सीढ़ी के रूप में लेते हैं तो हम गलत हैं। रोजगार शिक्षा का एक गौण उद्देश्य है, मगर दुर्भाग्य से हमने उसे ही प्रमुख मान लिया। परिणाम सामने है। आज के दौर में बहुत बड़ी-बड़ी …