जीवन में कभी न कभी हम सभी ऐसी परिस्थियों से गुजरते हैं जहां लगता है कि सारे रास्ते बंद हो गए। सब कुछ खत्म होने जैसा लगता है और हम जीवन में रुचि खोने लगते हैं। ऐसी निराशा भरी परिस्थितियों से हमें डटकर मुकाबला करना चाहिए और जीवन में आगे बढ़ना चाहिए। लेकिन कैसे? आइए, जानें निराशा के निकलने के कुछ प्रैक्टिकल उपायों पर यह आलेख – निराशा से कैसे निकलें बाहर : 8 प्रैक्टिकल उपाय-
निराशा से बाहर निकलने के 8 प्रैक्टिकल उपाय
जीवन की कठिन परिस्थितियों में सब कुछ निराशा भरा होता है। लेकिन, मुश्किल हालात जीवन के अंग हैंं और निराशा से बाहर निकलने के रास्ते आपको खुद ही बनाने पड़ते हैं। निराशा भरे कठिन समय का सामना सबको कभी न कभी करना पड़ता है। जीवन का रास्ता पहाड़ी सड़क की तरह है, घुमावदार और ऊंचा-नीचा। मोड़ों से भरा हुआ – कभी दाएं, तो कभी बाएं!
कभी गए होंगे पहाड़ों में तो गौर किया होगा सीधी सड़क चलने के अवसर कितने कम मिलते हैं!…और समतल को कतई नहीं, एक के बाद एक कितने उतार-चढ़ाव! कभी पहले गियर में एक्सिलेरेटर दबाकर ढाल चढ़ना पड़ता है तो छोटे गियर में एक्सिलेरेटर ढीला छोड़कर बड़े आराम से ढाल उतरने के मौके भी आते हैं। अकसर ये रास्ते गंतव्य की उलटी दिशा में भी मुड़ जाते हैं लेकिन यही रास्ते, जैसे भी हो आपको गंतव्य तक ले ही जाते हैं।
तो, जीवन ऐसा ही है दोस्तो, पहाड़ी सफर की तरह! जिंदगी के ऐसे पहाड़ी सफर में कभी यूं भी होता है कि आपकी रफ्तार बिल्कुल थम सी जाए! जरा सोचिए, कभी पहाड़ खिसक गए और चट्टानी मलबों ने रास्ता बंद ही कर दिया तो आप क्या करते हैं?
निराशा के कैसे निकलेंं बाहर
जब हम ऐसी पहाड़ी परिस्थितियों में फंसते हैं तो इसे चुनौती की तरह लेते हैं। धैर्य रखते हैं और अपनी सारी सूझ-बूझ का इस्तेमाल मिलजुल कर आगे की राह बनाने में करते हैं। या, मुड़ जाते हैं। थोड़ा पीछे जाकर किसी दूसरे कम उपयुक्त रास्ते से आगे निकलकर मुख्य रास्ते में मिलने की कोशिश करते हैं, लेकिन वहीं रुके नहीं रह जाते।
ऐसा क्यों? क्योंकि जब हम पहाड़ की यात्रा पर निकलते हैं तो हमारे सामने इन सारी कठिनाइयों को चुनौती की तरह लेने और उनसे खेलने का जज़्बा होता है। बस इसी बात को जीवन के साथ जोड़ कर देखिए। दरअसल जिंदगी के सफर में भी इसी जज़्बे की जरूरत होती है।
कभी-कभी हम जिंदगी में जबर्दस्त रुकावट का शिकार होते हैं। जिस राह पर अब तक हम आराम से चलते रहे वह अचानक से बंद हो जाए! हमारी नौकरी चली जाए या हमारा काम बंद हो जाए! बड़ी उम्मीद और मिहनत से वर्षों तक किसी प्रतियोगिता में लगे रहे, फिर आखिरी चांस चला जाए और पास न हो पाएं! कोई रिलेशनशिप हो.. ढेर सारी उम्मीदें और योजनाएं हों, चलता रहे दूर तक सब ठीक-ठाक। फिर एक दिन अचानक सब खत्म! अब आगे क्या हो? कुछ सूझे ही नहीं!
जीवन का ऐसी निराशाओं में फंस जाना किसी भी तरह से आखिरी बात नहीं होती। जीवन फिर भी आगे बढ़ेगा और उसे आगे बढ़ना ही है। यूं तो ऐसा कम होता है, लेकिन कभी जब ऐसा वक्त आ ही जाए तो पहाड़ी अभियान के यात्री की तरह खुद को देखिए और जीवन की मुश्किल घड़ी में मददगार इन तरीकों को आजमाइए-
1.पहाड़ी सफर की ऊपर बताई तस्वीर को सामने रखिए। रुकावट आई है केवल, रास्ता खत्म नहीं हुआ। रास्ते बनेंगे और आप ही बनाएंगे, जाने या अनजाने- उसी रास्ते को खोलकर या थोड़ा डायवर्जन लेकर! तो फिर, क्यों न पूरी ताकत से इस बात को अपने भीतर भर लिया जाए?
2.पेशेवर इंजीनियर की तरह इस रुकावट का मुआयना कीजिए। सारा गणित लगाइए और सारी सूझबूझ का इस्तेमाल कीजिए, लेकिन खुद से एक वादा कीजिए- किसी भी हाल में आप समस्या के साथ खुद को जोड़कर नहीं देखेंगे। आपकी समस्या और आप दोनों अलग हैं।
3.मदद लीजिए अपने दोस्त, भाई-बहन, मां-बाप, जीवन साथी या किसी भी ऐसे शख्स से जिस आप भरोसा कर सकते हों, वैसे ही जैसे हम रास्ते में फंसने पर अपने सहयात्रियों, गुजरते राहगीरों या पास की बस्ती से लेते हैं। उनसे परिस्थिति की भरपूर चर्चा कीजिए। motivation और self improvement पर लिखने वाले किसी अच्छे लेखक को पढ़िए या ऐसे किसी अच्छे वक्ता को सुनिए। इससे आप समाधान से जुड़े रहेंगे और बाहर निकलने की आपको अतिरिक्त सूझ मिलेगी।
निराशा कैसे दूर करें- आजमाएं निराशा से निकलने के 8 उपाय
निराशा के कैसे निकलें बाहर
4. इस जज़्बे को विकसित कीजिए और अपने अंदर उसे पाल कर रखिए कि चाहे जो हो यह एक चुनौती है और मुझे इससे खेलकर आगे बढ़ना है।
5. जो हुआ, वह आपकी जानकारी में है; तो वह पुराना हो चुका। अब जो होना है, उसे आप नहीं जानते; इसलिए वह नया है। तो आगे के उस अज्ञात नए रास्ते की जिज्ञासा के मजे लीजिए!
6. जीवन में ऐसा वक्त हमारे अंदर छिपे गुप्त खजानों की चाबी बनकर आता है। यही समय होता है अपनी उन अनजानी धरोहरों को जानने और उनका इस्तेमाल करने का, उनकी मदद से जीवन को अगले स्तर पर ले जाने का। तो, पूरे अधिकार से उस चाबी को पकड़िए और अपनी अज्ञात धरोहरों को बाहर लाइए।
7. इस मुश्किल घड़ी में अलग से अपना खयाल रखिए। ऐसे समय खुद को शांत और व्यवस्थित रखने पर पूरा ध्यान दीजिए। गहरी सांसों से खुद को शिथिल कीजिए। धरती पर आपका होना इस धरती की हर चेतन-अचेतन चीज को छूता है। एक अदृश्य धागा सबको जोड़कर रखता है। उस धागे को महसूस करने का सुख लीजिए!
8. आप देखना चाहते हैं और देख पाते हैं; आप सुनना चाहते हैं और सुन पाते हैं; आप चलने की इच्छा करते और चल पाते हैं। आपका शरीर जो कल अच्छे दिनों में आपके साथ था, आज इस मुश्किल में भी आपके साथ है। चांद, सूरज, आसमान और धरती अब भी अपनी जगह हैं, और मिट्टी में बीज रखने पर उसमें अंकुर फूटने की परिस्थिति अब भी कायम है, तो इनके लिए कृतज्ञ होइए, कि ये सब आज भी आपके साथ हैं!
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