यदि आप सचमुच स्वास्थ्य चाहते हैं और छोटी-मोटी बीमारियों को लेकर डॉक्टरों के चक्कर लगाना पसंद नहीं करते तो यह आलेख आपके लिए है। अपने स्वस्थ रहने की आदतों में आज से एक और आदत ‘नंगे पैर चलने’ को शामिल कर लीजिए और देखिए कि कुछ देर खाली पैर चलने से जीवन में कितने सकारात्मक बदलावों को आप प्रत्यक्ष महसूस कर पाते हैं!
“Going barefoot in the forest is a very sensuous and a pleasurable experience. For some of us it is almost a mystical experience. I know that I dreamt of it long before I ever durst try it. It is also an experience that brings into question our entire relationship with nature in a way that disturbs and challenges our ideas about ourselves as civilized beings.”
― Richard Keith Frazine, The Barefoot Hiker
सुविधा की होड़ में हम देह को अधिक से अधिक आराम देने की तरकीबें ढूंढते हैं। धूप-हवा-पानी-धूल-पसीना सबसे बचकर तो रहना चाहते ही हैं, चलने से भी बचते हैं। कुछ सौ मीटर की छोटी दूरियां भी बिना टू-व्हीलर या कार के नहीं तय करते और कभी पैदल चलना पड़ भी जाए तो खाली व तो कतई नहीं चलते। आराम की लत में हम भूल गए कि नंगे पैर चलना स्वस्थ जीवन का एक जरूरी हिस्सा है।
ईश्वर ने हमारे पैरों को जूते पहन कर चलने के लिए डिजायन नहीं किया। अन्य जीव जंतुओं की तरह ही प्रकृति ने हमारे शरीर के अंदर भी स्वस्थ रहने की कई ऑटोमैटिक व्यवस्थाएं दे रखी हैं। इंसानी पांव के तलवों में भी ऐसा सिस्टम मौजूद है जो पावों के सामान्य प्रयोग से हमारे शरीर की आरोग्य व्यवस्था की मदद करता है।
चलते समय पैरों के साथ दो बाते होती हैं शरीर का सारा वजन पैरों पर पड़ता है और पैर धरती के संपर्क में रहते है। कुदरत ने इन दोनों बातों को ध्यान में रखकर पैरों की रचना इस हिसाब से की है ताकि हम पैरों से न केवल चल सकें बल्कि उससे हमारे स्वस्थ्य रहने में मदद मिले।
लेकिन हम अपने पावों के अंदर डाली गई इस खूबी का फायदा तभी उठा सकते हैं जब कि
नंबर 1, हम पैदल चलें और
नंबर 2, हमारे पैर नंगे हों ताकि वे धरती के संपर्क में आएं।
इसलिए हमें अपने दैनिक समय का कुछ हिस्सा नंगे पैर चलते हुए बिताना चाहिए।
लेकिन ध्यान रखिए ये फायदे आपको तभी मिलेंगे जब आप नंगे पैर चलने की इस योजना को साफ-सुथरी मिट्टी पर; पार्क, खेतों या मैदानों की स्वच्छ घास पर, चट्टानों पर, नदी की गीली रेत जैसे शुद्ध प्राकृतिक जगहों पर आजमाएंगे। और एक बात का ध्यान रखें आप घास पर या जैसी भी सतह पर चलें वे अगर गीली हों तो इसके फायदे अधिक होंगे। इसलिए सुबह की ओस भींगी जमीन या घास पर खुले पांव चलने के फायदे अधिक हैं।
तो, आइए जानते हैं वे कौन से फायदे हैं जो हमें नंगे पैर चलने से मिलते हैं।
नंगे पैर चलने के फायदे
1. तलवों के एक्यूप्रेशर रिफ्लेक्स प्वाइंट्स एक्टिव होते हैं
पैरों के तलवों में शरीर के हर अंग से संबंधित एक्यूप्रेशर रिफ्लेक्स प्वाइंट होते हैं। चलने हुए जब हमारे पांव ऊबड़-खाबड़ खुरदरी जमीन पर पड़ते हैं तो शरीर के वजन की दबाव से अनजाने में इन रिफ्लेक्स पॉइंट्स पर प्रेशर पड़ता है और उनसे संबंधित शरीर के अंगों को लाभ मिलता है, उनकी तकलीफ दूर होती है। यदि आपने कभी एक्यूप्रेशर के फायदों को अनुभव किया है तो आप इसे अच्छी तरह समझ सकते हैं।
2. आंखों की रोशनी बढ़ती है
बुजुर्गों के मुंह से प्रायः आपको भी सुनने को मिला होगा कि खुले पांव घास पर चलने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। तलवे में, पांव के अंगूठे के बाद वाली दोनों उंगलियों की जड़ में आंख के एक्यूप्रेशर रिफ्लेक्स पॉइंट्स होते हैं। चलते हुए जब पंजे उठते हैं तो उनपर सहज दबाव पड़ता है और इससे हमारी आंखों को फायदा मिलता है।
3. अनिद्रा दूर होती है और अच्छी नींद आती है
अध्ययनों में और अनेक लोगों के अनुभव से पाया गया है कि नियमित कुछ देर नंगे पैर चलने से नींद अच्छी आती है। गावों के अनुभवी बुजुर्ग आज भी अनिद्रा की बीमारी में खुले पैर चलने की सलाह देते हैं। आप भी आजमाकर देखें!
4. पैरों के ऊपर शरीर का संतुलन बेहतर होता है
नंगे पैर चलते हुए दोनों पैरों का सही संतुलन बनाने में मदद मिलती है। हमेशा जूते या सैंडल पर चलने से पैरों की पैरों के मौलिक संतुलन के साथ-साथ हमारे पैरों की कुदरती बनावट भी प्रभावित हो जाती है। रोज कुछ देर नियमित नंगे पांव चलने से इसमें सुधार होता है। हमारे पैर जमीन पर अधिक मजबूती से पड़ते हैं।
5. ध्यान एकाग्र होता है, मानसिक सजगता बढ़ती है
नंगे पांव चलना हमारी एकाग्रता और सजगता को बढ़ाता है। जब हम खुले पांव जमीन पर चल रहे होते हैं तब अधिक सावधानी से संभल कर कदम रखते हैं, क्योंकि हमें आपने पांवों की चिंता रहती है। हम उन्हें नुकीले कंकड़-पत्थरों और कांटों जैसी चुभने वाली चीजों से बचाकर चलते हैं। कुछ देर की इस एकाग्रता और जमीन की खुरदरी तकलीफ का अहसास हमें एक समृद्ध अनुभव देता है। हमारे अंदर धैर्य, सहनशक्ति और ठोस भाव विकसित होते हैं।
6. पंजों का विकास होता है, पैर और टांगें मजबूत बनती हैं
बचपन से लगातार जूते या सैंडल पहनने से पैर के पंजे को पूरी तरह विकसित नहीं हो पाते। चलते हुए उन्हें मुड़ना चाहिए उतना मुड़ नहीं पाते। ऐसे में नंगे पांव चलने से उनका व्यायाम हो जाता है। पैर की उंगलियों, पंजों, एड़ियों टखनों और पिंडलियों की मांसपेशियां मजबूत बनती है और कुछ मिलाकर हमारी टांगे स्वस्थ और मजबूत बनती हैं।
7. पृथ्वी का Electro-magnetism (विद्युतचुंबकत्व) शरीर की आयनिक व्यवस्था दुरुस्त होती है
नंगे पैरों का धरती को स्पर्श करने से हमारा शरीर पृथ्वी के प्रत्यक्ष संपर्क में आता है। पृथ्वी के चुंबकीय प्रेरण से शरीर के तत्वों को प्रभावित होने का अवसर मिलता है। शरीर को पृथ्वी के प्रत्यक्ष संपर्क में लाने का अवसर धरती पर खुले पैरों से चलकर ही मिल सकता है। वरना कोई और व्यावहारिक तरीका नहीं है जिससे हम शरीर को कुछ देर मिट्टी के खुले संपर्क में रख पाएं।
शरीर में आयनों के प्रवाह में संतुलन आता है। जिसका सकारात्मक प्रभाव प्रत्येक अंग पर पड़ता है और समग्र मानसिक और शारीरिक तंदुरुस्ती बढ़ती है। शरीर के कुल body-mass (शारीरिक द्रव्यमान) का 60 प्रतिशत हिस्सा जल है। जल विद्युत का सुचालक होता है। खुले पैर पृथ्वी के संपर्क में आने पर जमीन की नमी शरीर में स्थित जल के माध्यम से पृथ्वी और शरीर के बीच ऊर्जा के आदान-प्रदान का अवसर मिलता है।
8. free-radicals की संख्या में कमी और antioxidants का बढ़ना
अध्ययनों में पाया गया है शरीर के धरती के संपर्क में आने से शरीर के अंदर free-radicals की संख्या में कमी आती है और antioxidants तत्व अधिक बनने लगते हैं। इसलिए नियमित रूप से भूमि पर नंगे पैर चलने से शरीर को एंटीऑक्सीडेंट के मामले में उसी तरह लाभ होता है जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर फल-सब्जियां खाने से मिलता है।
9. पृथ्वी और प्रकृति से जुड़ने का अद्भुत अहसास
कहते हैं हमारा शरीर मिट्टी से बना है। यह एक वैज्ञानिक सत्य है। जिन असंख्य कोशिकाओं से मिलकर शरीर बना है उनका निर्माण पृथ्वी के जल और खनिज पदार्थों से होता है जो अनाज, दालों और फल-सब्जियों और पेय जल के जरिए शरीर में पहुंचते हैं। इस तरह शरीर पृथ्वी का हिस्सा है। शरीर के अंदर मौजूद भी तत्वों के लिए पृथ्वी मूल स्रोत है।
जब हम अपने खुले अंगों से पृथ्वी का स्पर्श करते हैं तब हमारे शरीर के सभी तत्व अपने मूल स्रोत के संपर्क में आते हैं। इस संपर्क कारण शरीर में कुछ विशेष रासायनिक परिवर्तन होते हैं और हमारे मस्तिष्क को कुछ अनोखे विद्युतचुंबकीय संकेत प्राप्त होते हैं। मस्तिष्क को मिले ये संकेत हमारे हार्मोनों पर प्रभाव डालते हैंं और हम अपने अंदर तृप्ति का एक अद्भुत अहसास करते हैं!
10. प्रकृति का सान्निध्य
स्वाभाविक है कि जब हम नंगे पांव चलेंगे तो इसके लिए हम अपने आस-पास की किसी कुदरती जगह को ही चुनेंगे। जैसे कि, पास के मैदान, पार्क, खेत, जंगल की ओर जाने वाली पगडंडी, नदी या समुद्र का किनारा, पहाड़ की ढाल आदि। और दूसरी बात, कि खुले पांव चलते हुए हम भागते नहीं बल्कि ध्यान पूर्वक और बड़े एहतियात के साथ धीमी चाल में चलते हैं।
इस कारण हमें अपने आस-पास की प्रकृति के विभिन्न रूपों पर ध्यान देने का अवसर मिलता है। इधर पांव शीतल भूमि और मुलायम घास का सुखद अनुभव करता है और उधर हमारी आंखें पास के दृश्यों, हरे-भरे पेड़ों, शीतल हवा के झोंकों, चिड़ियों की मधुर बोली, झाड़ियों में मंड़राती तितिलियों, कीट-पतंगों आदि की तरफ बरबस चली जाती हैं। इस तरह हम अपने अपने पांवों के नीचे धरती का सुखद अहसार और चारों ओर प्रकृति का साक्षात्कार करते हैं!
11. शरीर के अंदर की सभी क्रियाएं सुचारु होती हैं
व्यावहारिक अध्ययन से पता चलता है कि शरीर के पृथ्वी के संपर्क में रखने से हृदय गति, रक्त संचरण (blood circulation), पाचन क्रिया, श्वसन सहित शरीर की सभी प्रक्रियाओं को सामान्य होने में मदद मिलती है। यह बिल्कुल प्रत्यक्ष आजमाया हुआ अनुभव है। नियमित नंगे पांव चलने वाले लोग औरों की तुलना में अधिक निरोग होते हैं।
खुले पैर चलने के बारे में वैज्ञानिक अध्ययन क्या कहते हैं?
स्विट्जरलैंड के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक शोध संगठन MDPI के International Journal of Environmental Research and Public Health में प्रकाशित एक रिव्यू के अनुसार शरीर का पृथ्वी के संपर्क में आने से शरीर की विद्युत-चुंबकीय व्यवस्था पर सकारात्मक असर पड़ता है। हृदयगति और शरीर में ग्लूकोज के रेग्यूलेशन में सुधार आता है। यही कारण है कि हृदय रोगियों और डायबिटीज के मरीजों के लिए नंगे पांव चलना लाभकारी पाया गया है।
अमेरिका से प्रकाशित Journal of Alternative and Complementary Medicine में प्रकाशित एक आलेख बताता है कि शरीर का पृथ्वी के संपर्क के आने से (साइंस की भाषा में कहें तो शरीर को earthing मिलने से) लाल रक्त कोशिकाओं की सतह पर इलेक्ट्रॉनिक चार्ज में वृद्धि होती है। जिस कारण नसों और धमनियों के अंदर रक्त की प्रवाहशीलता बढ़ती है। जाहिर है ब्लड सर्कुलेशन को होने वाला यह फायदा हृदय रोग सहित कई रोगों में लाभकारी सिद्ध होता है।
निष्कर्ष
जाहिर है, प्रकृति में नंगे पैर चलने से हमारे समग्र स्वास्थ्य में वृद्धि होती है। इसलिए, वक्त निकालिए और रोज कुछ देर नंगे पांव चलिए। सुबह का समय सबसे बढ़िया है क्योंकि उस वक्त धरती की सतह ओस से गीली रहती है। व्यायाम करने के लिए जिम या घर की बजाए खुली प्रकृति को चुनिए और घास पर या मुलायम मिट्टी पर नंगे पांव व्यायाम कीजिए।
आज नंगे पैर चले और आज ही परिणाम की चिंता मत करने लगिए। कम से कम लगातार दो सप्ताह नियमित चलिए। आप इतने फायदे महसूस करेंगे कि आप खुद ही इसके मुरीद हो जाएंगे!
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Sumit Singh
An article to connect with nature and leading to a healthy life.