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एक कहानी बहुत छोटी सी : एक अनोखी लघुकथा…

एक कहानी बहुत छोटी सी

जीवन में हर तरफ कहानियां हैं। जीवन खुद एक कहानी है। साए की तरह हर आदमी के साथ उसकी कहानी चलती है। कुछ कहानियां हमें छू जाती हैं। एक लहर उठती है, दूर तक जाती है और हम ठिठक कर देखते हैं, अंदर कुछ बदला। पढ़िए मन को छू लेने वाली यह लघुकथा– एक कहानी बहुत छोटी सी..

एक कहानी बहुत छोटी सी
20 साल का एक युवक ट्रेन की खिड़की से बाहर के नजारों को देख कर हैरान है। अचानक वह खुशी से चिल्लाता है, ‘पापा, देखो ये पेड़ कितनी तेजी से पीछे भाग रहे हैं।’ 60 साल के उसके पिता के चेहरे पर खुशी है। वह मुस्कुरा देते हैं।

वयस्क युवक का बच्चों सा किलकना सामने बैठे एक युवा दंपत्ति को अजीब लगता है। वे असहज होते हैं लेकिन कुछ कहे बिना रह जाते हैं।

युवक खिड़की की कांच में चेहरा सटाए बाहर के दृश्यों में मशगूल रहता है। उसकी नजर सफेद बादलों पर पड़ती है और वह फिर खुशी से चीख पड़ता है, ‘देखो, पापा देखो, ये बादल हमारे साथ चल रह हैं।’ पिता फिर मुस्कुराते हैं और खुश होते हैं। युवा दंपत्ति इस बार खुद को रोक नहीं पाते।

‘आप अपने बेटे को किसी डॉक्टर से क्यों नहीं दिखाते’, वे बुजुर्ग से कहते हैं।

वह फिर मुस्कुराए और बोले, ‘हां, हम डॉक्टर के पास से ही आ रहे हैं। दरअसल हमें आज ही अस्पताल से छुट्टी मिली। मेरा बेटा जन्म से अंधा था। पहली बार आज वह अपनी आंखों से दुनिया देख रहा है।’

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