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लघुकहानी-Motivational story Hindi : लक्ष्य की एकाग्रता

जीवन में जब भी कुछ लीक से हटकर किया जाता है लोग अपनी आशंकाएं व्यक्त करने से नहीं चूकते। ऐसी आशंंकाएं अकसर मनोबल तोड़ने वाली होती हैं। यह प्रेरक लघुकहानी बताती है पूरी दृढ़ता से लक्ष्य पर टिका हुआ मन कैसे इन आशंकाओं से हतोत्साहित नहीं होता! आइए पढें यह छोटी सी प्रेरक- लघुकहानी : Motivational story Hindi

लघुकहानी – Motivational story in Hindi

Motivational story in Hindi – लघुकथा : लक्ष्य पर टिका हुआ मन

जंगल में एक तालाब था और उसमें थी मेंढकों की एक छोटी सी दुनिया। एक बार उस तालाब के सभी युवा और जोशीले मेंढकों के दिमाग में कुछ रोमांचक करने का खयाल आया। तय हुआ सामने की पथरीली पहाड़ी की सबसे ऊंची चोटी तक दौड़ लगाई जाए। मेंढकों के लिए यह बहुत साहस भरा और मुश्किल काम था। उनमें से कोई भी तालाब से बाहर कभी इतनी दूर गया नहीं था।

Motivational story in Hindi – लघुकहानी

तैयारियां शुरू हुईंं। वे रोज कसरत करने लगे ताकि उनकी टांगे मजबूत हों। अच्छी डाइट का ख्याल रखा गया ताकि उनमें लंबा दौड़ने और अधिक चलने की ताकत आए। एक दिन जब आसमान साफ था और धूप खिली थी इस रोमांचक कारनामे को अंजाम दिया गया। पूरे दम-खम और जोश के साथ तैयार वे सारे युवा मेंढक तालाब किनारे इकट्ठे हुए। उन्होंने नारे लगाए और एक दूसरे का हिम्मत बढ़ाया।

उस दिन सारा जंगल तालाब किनारे इकट्ठा था। सारे जानवरों में उत्सुकता थी लेकिन वे हैरान थे कि मेंढकों को हो क्या गया है। इतनी दूर वे कैसे जा सकते हैं। किसी ने भी मेंढकों की दुनिया में इतनी बड़ी बात न कभी देखी न सुनी थी। निर्धारित समय पर दौड़ शुरू हुई। सारे मेंढक बड़े उत्साह और आत्मविश्वास के साथ पहाड़ी की ओर बढ़ने लगे। उनके रास्ते में दर्शकों की भीड़ थी। सभी हैरान और परेशान थे। मेंढकों की दौड़, इतनी लंबी और इतना मुश्किल!

भीड़ से आवाजें आने लगीं- ‘पहाड़ की चोटी तक जाना बड़े जानवरों के लिए आसान नहीं, और ये तो मेंढक ठहरे।’ ‘देखना, कोई न पहुंच पाएगा।’ ‘अरे, टांगेंं तुड़वा कर आधे रास्ते से लौटेंगे सारे’। ‘मैंने समझाया था, दौड़ ही लगानी है तो तालाब के कई चक्कर लगा लो।’ ‘अरे, मति मारी गई है इनकी’। ‘ये बच्चे हैं, मां-बाप को तो रोकना चाहिए’। भीड़ चिल्लाती रही। मेढ़कों का आत्मविश्वास कमजोर होता गया। एक-एक कर मेढ़क रास्ते में निढाल पड़ने लगे। भीड़ की आशंका यकीन में बदल गई। मेढ़कों की हालत पर वे दुःखी हुए, लेकिन उन्हें अपने अनुभवी होने का संतोष था।

कहानी खत्म नहीं हुई। सबने देखा अकेला एक मेढ़क चोटी तक पहुंच गया है। धीरे-धीरे वह मेढ़क नीचे भी उतरने लगा। भीड़ स्तब्ध थी। सबने देखा वह एक दुबला-पतला सामान्य सा मेंढक था। हर तरह एक ही सवाल था- ऐसा कैसे? खलबली मची थी। सबको एक ही चीज जानना था- सफल मेढक की ताकत और क्षमता का राज! दरअसल, वह मेंढक बहरा था। भीड़ ने क्या कहा उसने नहीं सुना था!

यह कहानी हमारी भी हो सकती है। दुनिया की ओर टिकी हुई नजर और दुनिया की ओर लगा हुआ कान अकसर हमें धोखे में रखते हैं।

कहानी का वीडियो वर्जन देखें-

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