मछली पानी में कैसे तैरती है? कैसे बढ़ती है आगे?
मछली पानी में कैसे तैरती है यह सवाल हम सबके मन में कभी न कभी जरूर उठता है, लेकिन जो जवाब हमें मिलते हैं वे अकसर अधूरे होते हैं। हम यह तो जानते हैं कि मछली के पेट में हवा की थैली (एयर ब्लडर) होती है, लेकिन इससे यह कहां पता चलता है कि वह गति कैसे कर पाती है, वह पानी में आगे कैसे बढ़ती है।
मछली पाने में कैसे गति कर पाती है
दरअसल, मछली अपने लचीले शरीर को तरंग की तरह ‘S’ आकार में लहराकर पानी में आगे की ओर गति करती है। यानी वह अपनी पूंछ और लचीले शरीर को दाएं-बाएं झटके देकर आगे की ओर बढ़ती है। अपने लचीले शरीर को वह एक जगह से दाएं मोड़ती और दूसरी जगह से बाएं फिर अगली जगह से दाएं..। इस तरह मछ्ली अपना शरीर लहराकर ‘S’ जैसी संरचना बनाती है जिससे उसका शरीर पानी में आगे बढ़ता है। कुछ-कुछ सांप की तरह, जैसे वह जमीन पर लहराकर चलता है।
मछली की पूंछ (caudal fin) के तेजी से बाएं-दाएं लहराने से मछली के शरीर को आगे की ओर धक्का लगता है और इससे उसे आगे की ओर गति करने में मदद मिलती है।
मछली के शरीर पर उगे पक्ष (fins) उसे अपनी गति बदलने में मदद करते हैं और इनकी मदद से मछली दिशा भी बदलती है।
सामान्य कांटे वाली मछलियों के शरीर के अंदर एक हवा भरी थैली (air bludder) होती है जिसकी मदद से मछलियां पानी में ऊपर और नीचे की गति नियंत्रित करती हैं। हवा की मात्रा को नियंत्रित कर मछली पानी में अपनी गहराई में उतरती है या ऊपर आती है।
मछली का शरीर नौकाकार या धारारेखीय (streamlined) होता है जिससे उसे पानी चीरकर आगे बढ़ने में मदद मिलती है।
मछली का शरीर शल्कों (scales) से ढका होता है। शल्क मछली के शरीर की रक्षा करते हैं और शरीर को पानी पर फिसलने में मदद करते हैं।
गलफड़े (gill) की मदद से मछली पानी में सांस ले पाती है। गलफड़े की मदद से मछ्ली पानी में घुले हुए ऑक्सीजन का उपयोग करती है।
Sumit Singh
Interesting fact abt fish.