मार्च-अप्रैल परीक्षाओं के महीने होंगे। स्टूडेंट्स अब दिन-रात एक कर पढ़ाई कर रहे होंगे। पढ़ाई में पूरा ध्यान लगाने, समय बर्बाद न करने की हिदायतों के साथ सारा घर उनके ऊपर हावी हो रहा होगा। बहुत से स्टूडेंट्स होंगे जिनकी हालत नॉर्मल होगी, लेकिन ऐसे कितने ही स्टूडेंट्स होंगे जो बेहद डरे हुए होंगे, उनके ऊपर घबड़ाहट छा रही होगी। उनकी दिनचर्या बिगड़ रही होगी। उनके दिलो-दिमाग पर कितना प्रेशर होगा अंदाजा लगाया जा सकता है। Exam Phobia , ऐसे ही हालात में परीक्षाओं को लेकर स्टूडेंट्स के मन पर छाने वाला सामान्य से अधिक गहरा एक डर है। Exam Phobia जरूरी नहीं केवल बच्चों में हो। यह किसी भी उम्र के स्टूडेंट्स और किसी भी तरह के exams के स्टूडेंट्स के साथ हो सकता है। इग्ज़ैम फोबिया एक बेकार अनावश्यक डर है जो परीक्षाओं से समय स्टूडेंट्स पर हावी होता है।
Exam Phobia के लक्षण
- भावनात्मक लक्षण– तनाव, चिड़चिडापन, अनावश्यक गुस्सा, घबड़ाहट, हताशा
- शारीरिक लक्षण- पेट दर्द, भूख न लगना, अत्यधिक पसीना आना, धड़कन तेज होना, उबकाई, हाथ कांपना, मुंह सूखना और कभी-कभी तो बुखार भी
- व्यवहार और बरताव में प्रकट होने वाले लक्षण- परीक्षा से किसी तरह बचने का मन होना, नकारात्मक बातें करना, पेपर और उसकी तैयारी में एकाग्र नहीं होना और मन का बेमतलब भटकना। कभी-कभी तो स्टूडेंट्स इग्ज़ैम में कोरा पेपर छोड़ आते हैं, क्योंकि वहां उस वक्त, उनकी पढ़ी हुई चीजें भी गुम हो जाती हैं, और उन्हें वे सवाल भी समझ में नहीं आते जिन्हें वे अच्छी तरह जानते थे।
Exam Phobia के कारण
- परीक्षाओं और रिजल्ट को जरूरत से ज्यादा महत्व देना
- असफल होने का डर
- अधूरी तैयारी / अधूरा सिलेबस
- तैयारी का गलत तरीका- समझने की बजाए रटना
- रिवीजन नहीं करना
- परीक्षाओं से पहले रातों की जरूरी नींद खो कर पढ़ाई करना
- माता-पिता की ऊंची उम्मीदें और अपने अधूरे सपने बच्चों पर थोपने का रुझान
- माहौल, परिवार और समाज का मनोवैज्ञानिक दबाव
- आत्म विश्वास की कमी
- खुद से अस्वाभाविक उम्मीदें पालना
Exam Phobia से बचने के उपाय
मोटे तौर पर इग्ज़ैम फोबिया से बचने के उपाय उन्हीं कारणों में छिपे हैं जो हमने ऊपर बताए। लेकिन कुछ पॉइंट्स विस्तार से क्लियर करना ठीक रहेगा।
1.परीक्षाएं या इग्ज़ैम्स जिंदगी के लिए हैं, जिंदगी उनके लिए नहीं।
इसलिए परीक्षाओं के डर को मन से निकालिए। आपने सीखा है, आपने मिहनत की है- बस यही सबसे बड़ी बात है। इग्ज़ैम्स और रिजल्ट आपके खुद के महत्व से अधिक महत्वपूर्ण नहीं हैं। जिस तरह आप पूरे मन लगाकर और मिहनत से खेलते हैं, और खेल को खेल की तरह लेते हैं, वैसे ही ये इग्ज़ैम्स हैं। आप उनके लिए मिहनत कीजिए उनकी तैयारियों में मन लगाइए, लेकिन लीजिए उन्हें खेल की तरह। रिजल्ट जैसा भी हो, उसे एक प्लेयर की भावना से स्वीकार कीजिए। खिलाड़ियों के बारे में सोचिए। कल्पना कीजिए, हार के डर से घबड़ाया हुआ खिलाड़ी कैसा खेलेगा?
2. स्ट्रैटजिक बात करें, तो इग्ज़ैम की तैयारी उसी दिन से शुरू हो जाती है जब आपका सेशन शुरू होता है या, जब आप अपने सब्जेक्ट की पढ़ाई शुरू करते हैं।
आपके लिए सबसे जरूरी है- जो भी पढ़ें उसे रटने की बजाए समझने की कोशिश करें। सब्जेक्ट का कॉन्सेप्ट क्लियर हो तो आप उससे जुड़े किसी भी सवाल को आसानी से डील कर सकते हैं। इस तरह आपका आत्मविश्वास उस सब्जेक्ट पर कभी कमजोर नहीं होगा और आप इग्ज़ैम से नहीं डरेंगे। खुद को सिलेबस से अच्छी तरह परिचित रखें। सिलेबस के हर हिस्से को समझें और उसे पूरा करने पर ध्यान दें। यदि किसी कारण सिलेबस पूरा न हो पाए तो उस पार्ट पर सारा फोकस रखें जो पूरा हो गया है। फिर, जितना सिलेबस आपका तैयार है उसका बार-बार रिवीज़न करें। याद रखिए, आपने पढ़ाई कितनी भी अच्छी की हो, लेकिन रिवीज़न के बिना आपके लिए वह जंग लगी तलवार की तरह होती है!
3. परसेंटेज (percentage) के चक्कर में कभी मत उलझिए, लेकिन बार-बार अपने से जरूर पूछिए कि अपनी पढ़ाई को आप अपना बेस्ट दे रहे हैं या नहीं। परिणाम हमेशा हमारे कर्म से निर्धारित होते हैं। यदि आप अपनी पढ़ाई बेस्ट तरीके से नहीं करते, तो बेस्ट रिजल्ट पाने की उम्मीद बेमानी है। इसलिए यदि किसी वजह से आपको लगता है कि आप पढ़ाई उतने अच्छे तरीके से नहीं कर पाए, तो फिर बोल्ड बनिए और जैसा भी रिज़ल्ट हो उसे स्वीकार कीजिए। याद रखिए, जीवन में बोल्ड रहकर पायी गई छोटी उपलब्धि कमजोर आत्मविश्वास के साथ जैसे-तैसे हासिल हुई बड़ी उपलब्धि से अधिक काम आती है।
4. न खुद से अस्वाभाविक उम्मीदें पालें, न किसी और की उम्मीदों को जबरदस्ती अपने ऊपर थोपें।
अपना मूल्यांकन करें। अपनी रुचि, अपनी आकांक्षा जीवन से अपने लिए expectations सब साफ-साफ देखने की कोशिश करें। अपनी क्षमताओं को प्रैक्टिकल सीमा में तौलिए और उसी अनुरूप खुद से उम्मीद कीजिए।
5. दूसरों से अपनी तुलना कभी, किसी हाल में मत कीजिए।
जिंदगी को इस एक गलती से जितना घाव लगता है उतना किसी और बात से नहीं। अपनी क्षमताओं को लेकर धोखे में मत रहिए। खुद के साथ बार-बार इस वादे को दुहराइए कि आप जो हैं, जैसा हैं उसीका विकास करेंगे, उसीको निखारेंगे, न कि किसी और की पहचान ओढेंगे या उनसे रेस लगाएंगे।
Exams test your memory, life tests your learning; others will test your patience.
— Fennel Hudson
6. मत भूलिए, आपके लिए गोल सेट करने का अधिकार आपके सिवा किसी और को नहीं!
जिंदगी आपकी है, रिजल्ट चाहे आपके कर्मों का हो या आपकी परीक्षाओं का, उनसे बनना बिगड़ना आपका है। इसलिए किसी और की उम्मीदों पर जबरदस्ती खरा उतरने अथवा समाज या परिवार की किसी धारणा पर जबरदस्ती चलने की कोशिश मत कीजिए। यह आपके किसी काम का नहीं। ‘पढ़ोगे-लिखोगे बनोगे नवाब…’ जैसी किसी भी घिसी-पिटी कहावतों से आप प्रभावित मत होइए। दुनिया बदल चुकी है! अब आपका हुनर और आपकी काबिलियत तय करते हैं कि आप कितने बड़े ‘नवाब’ हैं!
7. दिमाग को आराम दें और रिलैक्स करें।
रातों को देर तक जागते हुए पढ़ने का आपको कोई फायदा नहीं मिलने वाला। देर रात की पढ़ाई से केवल बहुत पढ़ने का भ्रम होता है, मिलता कुछ नहीं। पढ़ाई में हमेशा क्वालिटी का ध्यान रखिए, क्वांटिटी का नहीं। यानी, अधिक घंटों तक नीरस और थकाऊ पढ़ाई की बजाए उत्साह के साथ और फ्रेश मन से की गई कुछ घंटे की पढ़ाई से आप अधिक gain करेंगे। यह कतई महत्वपूर्ण नहीं है कि आपने कितने घंटे पढ़े, महत्वपूर्ण यह है कि आप पढ़ी हुई चीजों का परीक्षा में बखूबी इस्तेमाल कर पाएं! स्टूडेंट्स के अकैडमिक रुझानों पर दुनिया भर में हुए अध्ययनों से साबित होता है कि रिलैक्स मूड में कॉन्सेप्ट समझकर पढ़ने वाले छात्रों की success rate घटों-घंटों तक घोंटकर याद करने वाले छात्रों की तुलना में काफी अधिक होती है।
लगातार पढ़ाई करने की बजाए हर एक या डेढ़ घंटे पर छोटा ब्रेक लीजिए।
8. मैं आपको रिलैक्स करने की एक कमाल की टेक्नीक बताता हूं।
पढ़ाई के बीच के ब्रेक में आप इसे जरूर ट्राई कीजिए। पीठ के बल लेट जाइए। आंखें बंद कीजिए। गहरी सांस लेकर छोड़िए। शरीर को सीधा और एकदम ढीला रखिए। हाथ-पैरों, गरदन, पीठ- हर अंग को पूरी तरह ढीला छोड़िए, जैसे वे बेजान हो गए हों। अब अंगूठे से शुरू कीजिए और मन की आखों से एक-एक अंग को देखते हुए धीरे-धीरे सिर की तरफ बढ़िए। आपका सारा शरीर रैलैक्स होता जाएगा। फिर, बंद आंखों से ही कल्पना कीजिए आप सोफे पर बैठे हैं, या दरवाजे पर या खिड़की के पास खड़े हैं और वहां से अपने इस बेजान शरीर को देख रहें हैं। इसे एक मेंटल गेम की तरह खेलिए। है न कमाल का खेल! एक बार में 10-15 मिनट करना सही होगा। आप इसे रोज रात को सोने से पहले बिस्तर पर चित लेटे हुए भी कर सकते हैं।
9. परीक्षाओं के वक्त स्टूटेंट्स अपनी डाइट का ख्याल नहीं रखते, जबकि ऐसा करना उनकी ओवरऑल तैयारी के लिहाज से नुकसानदेह होता है और उन्हें पता नहीं चलता। इग्ज़ैम्स के समय आपके शरीर को कम, लेकिन दिमाग को अधिक न्यूट्रीशन की जरूरत होती है। इसलिए ऐसा खाना खाइए जिसमें कैलोरी कम लेकिन विटामिंस और मिनरल्स भरपूर हों। यानी, आपके लिए इस समय फल, फल के जूस, हरी सब्जियां, नारियल पानी, छाछ, पनीर, डार्क चॉकलेट जैसी चीजें अच्छी होती हैं। बाहर की चीजों, फास्ट फूड, जंक फूड, स्ट्रीट फूड से बिल्कुल परहेज कीजिए। घर का बना ताजा खाना खाइए और सामान्य दिनों की तुलना में कम खाइए। पहले की तुलना में पानी अधिक पीजिए। यह आपके शरीर के प्यूरीफिकेशन में बहुत मदद करता है और आप शरीर और मन दोनों से तरोताजा महसूस करते हैं।
इस दौरान शरीर को स्ट्रेच करने वाले एक्सरसाइज कीजिए, जैसे घुटनों में नाक सटाना। प्राणायाम के बेसिक कॉन्सेप्ट में शामिल है- गहरी सांस लेना, कुछ सेकेंड रोककर फिर धीरे-धीर छोड़ना। इस दौरान मन का सारा फोकस सांसों पर रखने की कोशिश कीजिए। परीक्षाओं के समय होने वाले स्ट्रेस प्राणायाम से बहुत हद तक दूर किए जा सकते हैं। सुबह उठकर बाहर प्रकृति में टहलिए। नंगे पांव घास पर चलिए। शरीर के अंगों पर ठंडी हवा को महसूस कीजिए। चिड़ियों का चहकना सुनिए और झाड़ियों में मंडराती तितलियों को निहारिए या उनके पीछे भागिए!
ये बातें हमारे मन में आईं और हमने लिख दिया, ऐसा नहीं है। दुनिया भर के कितने ही रिसर्च इसे साबित करते हैं। आप भी इन्हें ट्राई कीजिए! भरोसा रखिए, आपके इग्ज़ैम्स अच्छे जाएंगे और यदि कभी किसी वजह से आप अधिक मार्क्स लाने में सफल नहीं भी हुए, तो इन बातों को अपनाकर आपके लिए जिंदगी में आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ना जरूर आसान होगा।
We worry about what a child will become tomorrow, yet we forget that he/she is someone today”! – Stacia Tauscher
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