[पिछले आलेख दुनिया के प्रमुख धर्म भाग 1 में आपने संख्या के लिहाज से 4 बड़े धर्मों के बारे में पढ़ा। अब प्रस्तुत है आलेख का भाग 2 – विश्व के प्रमुख धर्म- major religions in Hindi- 2 जिसमें आप अन्य 6 प्रमुख धर्मों के बार में जानेंगे। यदि आप इस आलेख का भाग 1 का नहीं पढ़ पाए हैं तो नीचे लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।]
विश्व के प्रमुख धर्म- major religions in Hindi- 2
5. सिख धर्म (Sikhism)
प्रवर्तक : गुरु नानक देव, स्थान : ननकाना साहिब (लाहौर, आधुनिक पाकिस्तान), काल : आज से लगभग 500 साल पूर्व, प्रमुख ग्रंथ : गुरुग्रंथ साहब (गुरुमुखी लिपि और पंजाबी/हिंदी भाषा में गुरु नानक देव के उपदेशों का संकलन), प्रमुख उप-संप्रदाय या शाखा : निरंकारी, नामधारी, अखंड कीर्तनी जत्था, केश-धारी, सहज-धारी, उपासना स्थल : गुरुद्वारा।
सिख शब्द की उत्पत्ति ‘शिष्य’ से हुई है। एक निराकार ईश्वर की उपासना, सिख धर्म के दस गुरुओं की शिक्षा और गुरुग्रंथ साहब के उपदेशों का पालन तथा दसवें गुरु की दीक्षा का अनुसरण सिख धर्म का मूल आधार है।
प्रसार और संख्या
आज दुनिया भर में सिख धर्म को मानने वाले लोगों की संख्या लगभग 3 करोड़ है। दुनिया में सबसे अधिक लगभग ढाई करोड़ (2.5 करोड़) लोग भारत में सिख धर्म के मतावलंबी है। शेष लगभग 50 लाख सिख आबादी दुनिया के विभिन्न देशों- अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, इटली, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया, थाइलैंड, पाकिस्तान, सं. अरब अमीरात, फिलिपींस, न्यूजीलैंड, जर्मनी, सिंगापुर, इंडोनेशिया, हौंगकौंग, फिजी आदि देशों में निवास करती है।
विश्व के प्रमुख धर्म
6. यहूदी धर्म (Judaism)
प्रवर्तक : अब्राहम, देश : इजारायल, काल : आज से लगभग 3000 साल पूर्व, प्रमुख साहित्य : तनख (हिब्रू बाइबल {ओल्ड टेस्टामेंट}, भाषा: हिब्रू, तनख की पांच प्राचीनतम ग्रंथ ‘तोरा’ [Torah] कहलाते हैं, अन्य हैं- नेविम और केतुविम), उपासना स्थल : सिनागॉग (Synagogue)
यहूदी धर्म एक एकेश्वरवादी उपासना पद्धति है जिसकी शुरुआत के बारे में यहूदी धर्मग्रंथों के आधार पर अनुमान है कि यह धर्म आज से कम से कम 3000 साल पहले अस्तित्व में आया होगा। पैगंबर या नबी का इसमें बहुत महत्व है जिनके बारे यहूदियों का मानना है कि ईश्वर उनके माध्यम से मनुष्य तक अपने संदेश प्रसारित करता है। यहूदी धर्म की मूल शिक्षा यह है कि ईश्वर एक है और सारे मनुष्य उसकी प्रतिकृति हैं, इसलिए प्रत्येक मनुष्य सम्मान का अधिकारी है। एकेश्वरवाद, ईश्वरीय रूप में मनुष्य की गरिमा, नैतिक शिक्षा और कर्मकांड यहूदी धर्म के मुख्य घटक हैं।
प्रसार और संख्या
दुनिया में कुल लगभग 1.5 करोड़ यहूदी हैं जिनमें से सबसे अधिक तकरीबन 64 लाख इजरायल में बसते हैं। इसके बाद यहूदियों के सबसे आबादी वाला देश है सं.रा. अमेरिका जहां आज लगभग 58 लाख यहूदी रहते हैं। यहूदियों की शेष आबादी दुनिया के 80 से अधिक देशों में निवास करती है। भारत में लगभग 5000 लोग यहूदी धर्म मानते हैं जिनकी आबादी मुख्य रूप से मुंबई और कोलकाता में और कुछ केरल (कोचीन, कालीकट) में पाई जाती है। भारतीय फिल्मों में बीते जमाने की जानी-मानी अभिनेत्री नादिरा का जन्म एक ‘यहूदी’ परिवार में हुआ था।
7. बहाई धर्म (Bahaism)
प्रवर्तक : बहाउल्लाह, देश : ईरान, काल : 1863 ई., प्रमुख साहित्य : ‘किताब-ए-अक़दस’, ‘किताब-ए-इक़न’, उपासना स्थल : बहाई मंदिर (मसरिक़-उल-अधकर)
बहाई धर्म ‘एक संसार एक मनुष्य’ के सिद्धांत को मानता है। इस धर्म के अनुसार दुनिया के सभी धर्म एक हैं और सारे मनुष्य अपनी जाति, प्रजाति, लिंग, राष्ट्रीयता से परे आपस में समान हैं। बहाई धर्म में कोई मूर्ति या तस्वीर नहीं होती, कोई धार्मिक प्रतीक नहीं होता।। बहाई मंदिर एक विशाल गुंबद के नीचे नौ भुजाओं वाला एक हॉल होता है, जिसमें न कोई मूर्ति होती है, न कोई गर्भगृह होता है। इस विशाल कक्ष में न कोई विभाजन होता है, न कोई दीवार होती है, कोई आला या ताख भी नहीं होता। बस यहां लोग मौन बैठकर ध्यान और मनन कर सकते हैं। इसमें हर ओर से रोशनी और हवा आती है। भारत में दिल्ली का ‘लोटस टेंपल’ बहाई मंदिर का बेहतरीन उदाहरण है।
प्रसार और संख्या
दुनिया के प्रमुख धर्म भाग- 2 : major religions in Hindi- 2
आज दुनिया की लगभग 0.1% आबादी यानी लगभग 75 लाख लोग बहाई मत को मानने वाले हैं। मूलतः ईरान में स्थापित हुए इस धर्म के दुनिया में सबसे अधिक अनुयायी आज भारत में पाए जाते हैं। इस समय भारत में लगभग 20 लाख लोग बहावी धर्म को मानने वाले हैं। भारत के बाद, सं. रा. अमेरिका में लगभग 6 लाख बहाई आबादी है। बहाइयों लोगों की शेष जनसंख्या केन्या, वियतनाम, कांगो, फिलिपाइंस, ईरान, जांबिया, बोलीविया, द. अफ्रीका, तंजानिया, बेनेजुएला, युगांडा, चाड, पाकिस्तान आदि लगभग 20 से अधिक देशों में फैली हुई है।
8. जैन धर्म (Jainism)
प्रवर्तक : तीर्थंकर महावीर, स्थान : पावापुरी (बिहार, भारत), काल : आज से लगभग 2500 साल पूर्व (बौद्धधर्म का समकालीन), प्रमुख ग्रंथ : आगम (प्राकृ
त भाषा), प्रमुख उप-संप्रदाय या शाखा : दिगंबर और श्वेतांबर, उपासना स्थल : मंदिर और चैत्यालय।
जैन धर्म का मूल 24 तीर्थंकरों की शिक्षाएं हैं। अहिंसा, आत्मशुद्धि, कठोर तप और ध्यान पर सर्वाधिक बल दिया गया है। इनमें भी अहिंसा को परमधर्म कहा गया है। बौद्ध धर्म की तरह जैनधर्म में भी ईश्वर की अवधारणा नहीं है। संसार को अनित्य और अनादि माना गया है।
प्रसार और संख्या
इस समय दुनिया में जैन मतावलंबियों की संख्या कुल लगभग 50 लाख है। संख्या में सबसे अधिक लगभग 48 लाख जैन मतावलंबी भारत में रहते हैं। शेष लगभग 2 लाख जैन आबादी अमेरिका, केन्या, ब्रिटेन, कनाडा, तंजानिया, नेपाल आदि देशों में निवास करती है।
9. शिंतो धर्म (Shintoism)
शिंतो धर्म जापान का प्राचीन धर्म है। जापान में इसकी शुरुआत 6ठी शताब्दी में यानी आज से लगभग 1500 साल पहले हुई। इस धर्म का न तो कोई देवता है, न कोई प्रवर्तक व्यक्ति और न ही कोई विशिष्ट धर्मग्रंथ है। शिंतो धर्म ‘कामी’ नामक अदृश्य शक्ति से मनुष्य को जोड़ने पर बल देता है, जिसके लिए विशिष्ट कर्मकांड (rituals) किए जाते हैं। शिंतो धर्म जापान को देवताओं की भूमि मानता है और इसके अनुसार दुनिया का कोई भी देश इतना पवित्र नहीं, जितना कि जापान।
विश्व के प्रमुख धर्म- दुनिया के प्रमुख धर्म- 2
शिंतो मत को मानने वाले लोग केवल जापान तक सीमित हैं। जापान की कुल जनसंख्या का केवल 3-4% यानी, लगभग 40-50 लाख लोग शिंतो मत के अनुयायी हैं।
10. पारसी धर्म (Zoroastrianism)
प्रवर्तक : जरथुष्ट्र, देश: ईरान, काल : आज से लगभग 3500-2500 साल पूर्व, प्रमुख ग्रंथ : अवेस्ता (भाषा: प्राचीन ईरान की अवेस्ती भाषा, प्राचीन संस्कृत से मिलती-जुलती), उपासना स्थल : फायर टेंपल (फारसी में ‘दर-ए-मेहर’ या गुजराती में ‘अगियारी’)
आज के पारसी धर्म का मूल प्राचीन ईरान के जरथुष्ट्र धर्म में निहित है। ईरान का प्राचीन नाम फारस था। पारसी शब्द की उत्पति ‘फारस’ से हुई। ईरान में 7वीं सदी में इस्लाम के आगमन से पूर्व ईरान के लोग जरथुष्ट्र धर्म को मानने थे। इस्लामिक दबाव ने ईरान की अधिकतर जनसंख्या को मुसलमान बनने को बाध्य किया, लेकिन ईरान की एक बड़ी आबादी अपने मूल धर्म के साथ विस्थापित हो गई।
पारसी धर्म एकेश्वरवादी है। इस धर्म का एक मात्र ईश्वर अहुर-मज्दा है। पारसी लोग पवित्र अग्नि को ईश्वर की शुद्धता का प्रतीक मानकर उसकी पूजा करते हैं। अगियारी में पवित्र अग्नि प्रज्वलित रहती है, जहां किसी भी गैर-पारसी का प्रवेश वर्जित होता है। पारसियों में मृत्यु के बाद शरीर को एक ऊंचे स्थान पर चील-बाज आदि पक्षियों द्वारा खाए जाने के लिए रखा जाता है। इस स्थान को टावर ऑफ साइलेंस (पारसी में ‘दोखमा’) कहा जाता है।
प्रसार और संख्या
ईरान पर मुस्लिम अरबों के हमले के बाद कुछ लोग अपने मूल जरथुष्त्र धर्म के साथ ईरान से पलायन कर गए। इनकी बड़ी आबादी समुद्र के रास्ते भागकर भारत आई। दुनिया में पारसी धर्म मानने वालों की सबसे बड़ी जनसंख्या भारत में है। ज्यादातर पारसी लोग मुंबई और गुजरात में बसे हैं। भारत के बाहर भी कई देशों में पारसी धर्म मानने वाले लोग रहते हैं। लेकिन, उनकी लगातार घटती संख्या भारत सहित दुनिया भर में चिंता का विषय है। 2001 जनगणना के अनुसार भारत में 69,601 पारसी थे जिनकी संख्या 2011 में घटकर 57,264 रह गई। अनुमान है आज पूरी दुनिया में केवल 1,12,000 पारसी समुदाय के लोग बचे हैं। भारत के अलावा ईरान, सं.रा. अमेरिका, अफगानिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, सिंगापुर, कनाडा, पाकिस्तान सहित लगभग 25 देशों पारसी लोग हैं।
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