भारत की जैव-विविधता (Biodiversity of India)
भारत में तेजी से बढ़ती मानव जनसंख्या देश के लिए चिंता और दुनिया के लिए कौतूहल का विषय है, लेकिन जैव-विविधता, यानी Bio-Diversity के लिहाज से भारत विश्व में अनूठा है। धरती पर जीवन की रक्षा के लिए धरती की जैव-विविधता (Bio-Diversity) की रक्षा जरूरी है। सबसे छोटे से लेकर सबसे बड़े जीव और मनुष्य तक, सभी आपस में अंतर्निर्भर संबंधों पर आश्रित होकर जीते हैं। यह संबंध Symbiosis यानी सहजीवन कहलाता है। सांप और शेर हमें भले ही नुकसान पहुंचाने वाले खतरनाक जीव लगें, लेकिन घरती पर उनका होना जीवन के संपूर्ण संजाल यानी Bio-Network के सुरक्षित और स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है।
भारत में –
लगभग 1313 प्रजातियों की चिड़ियां (दुनिया का 13%),
लगभग 1200 प्रकार की तितलियां (दुनिया का 6.9 प्रतिशत),
लगभग 60,000 प्रकार के कीट (दुनिया का 6%),
लगभग 412 प्रजातियों के स्तनधारी प्राणी (दुनिया का 7.6%),
लगभग 620 प्रकार के सरीसृप (दुनिया का 6.2%),
2420 किस्मों की मछलियां (दुनिया का 11%) और
लगभग 50,000 प्रकार के पेड़-पौधे (दुनिया का 12.5%) पाए जाते हैं।
जबकि, भारत का जमीनी क्षेत्रफल दुनिया का केवल 2% है। दुनिया के किसी भी एक देश में जीव-जंतुओं और वनस्पतियों की इतने प्रकार शायद ही दिखाई दें। अनगिनत संख्या में जीव-जंतुओं के इन किस्मों की आबादी देश के तमाम गांवों, कस्बों, शहरों और उनके आस-पास, जंगलों, झाड़ियों, खेतों-खलिहानों, सड़कों और रेल लाइनों के किनारे उगे पेड़ों और झाड़ियों, नदी-तालाबों, झीलों, बांधों के आस-पास तटवर्ती समुद्री इलाकों, पहाड़ों, बर्फ ढकी पर्वतीय ढलानों, दलदली भूमियों और
रेगिस्तान में निवास करती है। इसके अलावा जैव-विविधता (Bio-Diversity) के इस बेहतरीन धरोहर को भारत ने अपने 103 National Parks, 537 Wildlife Sanctuaries, 26 Wetland और 18 Biosphere Reserves के जरिए सहेजकर सुरक्षित रखने का प्रयास किया है। ये समस्त जीव-जंतु और पेड़-पौधे प्रकृति के सभी तत्वों जैसे पानी, चट्टान, हवा मिट्टी आदि के साथ मिलकर ईकोसिस्टम (Ecosystem) या पर्यावरण (Environment) का निर्माण करते हैं। देश में स्वस्थ पर्यावरण (Environment) देश के स्वस्थ्य जीवन के लिए जरूरी है।
धरती पर जीवों की संख्या न अधिक होनी चाहिए, न कम। उनका संतुलित होना पृथ्वी पर जीवन के स्वस्थ रूप से आगे बढ़ने के लिए जरूरी है। मनुष्य द्वारा जंगलों, जलस्रोतों, पहाड़ों, झीलों, समुद्र तटों को नुकसान पहुंचाने और हवा, पानी और मिट्टी को प्रदूषित करने की वजह से आज दुनिया के अनेक भागों से जीव-जंतुओं की कई प्रजातियां (Species) खत्म हो गईं और कई खत्म होने करीब पहुंच चुकी हैं। चूंकि जीवन का हर रूप आपस में सहजीवन (Symbiotic relation) से जुड़ा होता है, इसलिए किसी भी जीव-जंतु पर संकट संपूर्ण जीवनतंत्र (life system) को प्रभावित करता है। मनुष्य भी इसके प्रभाव से बच नहीं सकता। इसलिए जीव-जंतुओं के बारे में हमारा जागरुक होना जरूरी है।
हमारे देश से चीता (Acinonyx jubatus venaticus), गुलाबी सिर वाले बत्तख (Rhodonessa caryophyllacea) जैसे जीवन के कई खूबसूरत रूप नष्ट हो चुके हैं। Great Indian Bustard (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड), Indian Vulture (भारतीय गिद्ध),Greater Adjutant, Lesser Adjutant, Nilgiri Tahr (नीलगिरि टार), Snow Leopard (बर्फीला तेंदुआ), Red Panda (Ailurus fulgens) जैसे कई प्राणियों के जीवन पर गंभीर संकट हैं। इनके वास स्थलों (Habitats) में मनुष्य की दखल-अंदाजी और प्रदूषण के कारण इनकी संख्या घटकर खतरनाक बिंदु तक पहुंच गई है। ये लुप्तप्राय होने के कगार पर हैं।
ये भी देखें –
- कोकरे बेल्लूर : जहां है हर आंगन प्रवासी पक्षियों का बसेरा
- भारत की 6 नन्ही चिड़ियां (6 small Indian birds)…
- 5 कॉमन भारतीय तितली : इस बरसात मिलिए प्रकृति से
कृपया पेज के सबसे नीचे दिए गए Follow बटन पर क्लिक करें। इससे आपको हमारे नए पोस्ट की जानकारी मिलती रहेगी। आलेख कैसा लगा नीचे reply बॉक्स में हमें बताएं।
No Responses