भारत के राष्ट्रीय झंडे तिरंगा को फहराने या उसके उपयोग के कुछ अनिवार्य नियम होते हैं। इसे फ्लैग कोड ऑफ इंडिया या राष्ट्रीय ध्वज संहिता या राष्ट्रीय झंडा संहिता कहा जाता है। इस आलेख- ‘भारतीय ध्वज संहिता (झंडा-कानून)-flag code of India Hindi’ में Flag Code of India, 2002 के अनुसार निर्धारित महत्वपूर्ण अनिवार्य नियम इस प्रकार हैं-
राष्ट्रीय झंडा फहराने के नियम – National Flag Code in Hindi
राष्ट्रीय तिरंगा की तीन पट्टियों में सबसे ऊपर केसरिया (saffron) बीच में सफेद (white) और सबसे नीचे हरा (green) होता है। बीच की सफेद पट्टी के बिल्कुल मध्य हिस्से में 24 तीलियों वाला अशोक चक्र होता है। झंडे की अलग-अलग साइज के अनुसार अशोक चक्र की अलग-अलग साइज निर्धारित होती है। जैसे- 90×60 सेंटीमीटर आकार के झंडे में अशोक चक्र की साइज 18.5 सेंटीमीटर होनी चाहिए।
राष्ट्रीय तिरंगा झंडा हाथ से काते और बुने हुए सूती, ऊनी, या रेशमी (सिल्क) धागे से बना होना चाहिए। इसे आयतकार होना चाहिए। लंबाई और चौड़ाई 3:2 के अनुपात में होने चाहिए।
भारतीय ध्वज संहिता (झंडा-कानून)- flag code of India
झंडे को किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता। इसे किसी भी रूप में क्षतिग्रस्त नहीं किया जा सकता। राष्ट्रीय ध्वज को कभी पानी में नहीं डुबोया जा सकता। इसके किसी भी भाग को जलाने, नुकसान पहुंचाने के अलावा मौखिक या शाब्दिक तौर पर इसका अपमान करने पर तीन साल तक की जेल या जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।
तिरंगा को सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच ही फहराया जा सकता है। इसे कभी भी जमीन पर नहीं रखा जा सकता। इसे आधा झुकाकर भी नहीं फहराया जा सकता, लेकिन राष्ट्रीय शोक के अवसरों पर सरकारी इमारतों पर झंडे को आधा झुकाकर फहराने के आदेश जारी किए जा सकते हैं।
राष्ट्र-ध्वज संहिता- राष्ट्रीय ध्वज फहराने के नियम
कमर के नीचे तिरंगे को कपड़ा बनाकर पहनना भी झंडे का अपमान है। तिरंगे की यूनिफॉर्म बनाकर पहनना गलत है। तिरंगे को अंडरगार्मेंट्स, रुमाल या कुशन के रूप में भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
किसी भी समारोह या कार्यक्रम में वक्ता की मेज को ढकने या मंच को सजाने में झंडे का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। गाड़ी, रेलगाड़ी या वायुयान की छत, बगल या पीछे के हिस्से को ढकने में इस्तेमाल नहीं कर सकते। झंडे का इस्तेमाल किसी इमारत में पर्दा लगाने के लिए नहीं किया जा सकता।
तिरंगे का व्यावसायिक इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। किसी को सलामी देने के लिए इसे झुकाया नहीं जाएगा। झंडे को किसी के आगे झुकाना, उसका वस्त्र बनाना, मूर्ति में लपेटना या फिर किसी मृत व्यक्ति (सुरक्षा बल के शहीद जवानों के अलावा) के शव पर डालना, राष्ट्र ध्वज का अपमान माना जाएगा।
राष्ट्र ध्वज यदि किसी मंच पर फहराया जाए, तो उसे इस प्रकार लगाया जाना चाहिए कि जब वक्ता का मुंह श्रोताओं की ओर हो तो झंडा उसके दाहिनी ओर रहे। इसे वक्ता के पीछे दीवार के साथ और उससे ऊपर लेटी हुई क्षैतिज स्थिति में प्रदर्शित किया जा सकता है।
झंडे पर अलग से कुछ भी लिखा या प्रिंट नहीं किया जाएगा। राष्ट्रीय दिवसों जैसे स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसरों पर झंडा फहराए जाने से पहले उसमें फूलों की पंखुड़ियां रखी जा सकती हैं।
तिरंगा के नियम – flag code in hindi
फहराए गए झंडे को सही और अक्षुण्ण स्थिति में होना चाहिए। फटा हुआ या मैला-कुचैला झंडा नहीं फहराया जाना चाहिए। झंडा फट जाने पर, मैला हो जाने पर उसे एकांत में सम्मान के साथ पूरी तरह नष्ट कर दिया जाना चाहिए।
कोई दूसरा झंडा या पताका राष्ट्रीय झंडे से ऊंचा या उससे ऊपर या उसके बराबर नहीं लगाया जा सकता। एक ही पोल में तिरंगा के साथ दूसरा झंडा नहीं लगाया जाना चाहिए। ध्वज-स्तंभ पर फूल, माला, प्रतीक या कोई अन्य वस्तु न रखी जाए।
भारतीय क्षेत्र के अंदर यदि राष्ट्रीय झंडे को दूसरे देशों के साथ फहराया जाए तो झंड़े लगाने की शुरुआत राष्ट्रीय झंडे से किया जाना चाहिए। राष्ट्रीय झंडे को हमेशा सबसे दाहिनी ओर होना चाहिए। फिर, अंग्रेजी वर्णमाला के क्रम में, यानी अल्फाबेटिक ऑर्डर में अन्य देशों के झंडे लगाए जाने चाहिए।
सुमित सिंह
झंडे के ऊपर विषद जानकारी। बेहद उपयोगी।